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प्रेमकपाट

*मैं प्रेम कपाट सदा रखूंगा खोल कर,तुम बिन दस्तक के आ जाना*

यूं मत आना कि आना चाहिए था,
जब दिल में उठें हिलोरें,
तब दिल में रहने आ जाना।
तुम मौज मैं साहिल हूं,
मेरे पास ही है तुम्हें आना।।

मैं हर दुख हर लूंगा तेरे,
बस हौले से मुझे आवाज लगाना
हर मोड़ पर संग चलूंगा तेरे,
बेशक कुछ भी कहे जमाना।।

*सांस सांस में बसती हो*
*हिना सी जीवन में रचती हो*
मैं हर राह आसान बना दूंगा
सफर की,
तुम मंजिल की आस लगाना
बिन कहे ही समझ लेता हूं दिल की,
तुम झुकी झुकी नजरें बस ऊपर 
उठाना।।
मैं प्रेम कपाट रखूंगा खोल कर,
तुम बिन दस्तक के आ जाना।।
         अमित

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