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चलो ना प्रिय, प्रेमदीप जलाते हैं

चलो ना प्रिय,
प्रेम दीप जलाते हैं।
अपने प्रेम को हम
 अमर प्रेम बनाते हैं
प्रेम गंगोत्री से सच्चे
 समर्पण की गंगा बहाते हैं।।
अपने सफर को मंजिल से भी खूबसूरत बनाते हैं
मिले राह में जो भी हमराही,
उन्हें दिल से अपनाते हैं।।
एक दूजे को गुण दोष 
दोनों संग अपनाते हैं।।
इस प्रेम दीप से हर लेंगे तमस हम,
चलो ना प्रिय! उजियारे लाते हैं।।
*हमसफर से बड़ा कोई साथ नहीं*
आओ ना! सच्चा साथ निभाते हैं।।


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