*सच में बेटी मां की परछाई*
किसी को जल्दी किसी को देर से
बात मगर ये समझ में आई।।
शोर शोर से जीवन में,
*बेटी सबसे मधुर शहनाई*
कौन कहता है बेटी होती है पराई
मुझे तो बेटी से अपना
कोई कहीं नहीं देता दिखाई
जीवन की सांझ में
जब थके कदम हो
बैसाखी बनने बेटी ही आगे आई
नयन पढ़ लेती है बेटी,
मौन की भाषा भी उसे समझ में आई।।
*दिल पर दस्तक,जेहन मे बसेरा*
नस नस में बेटी होती है समाई
किसी को जल्दी,किसी को देर से
बात मगर ये समझ में आई।।
मात पिता के बाद, उन का अक्स
बेटी में ही देता है दिखाई
इजहार नहीं अनुभूति है बेटी,
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