चंद लम्हों में कैसे कह दूं
60 बरस की अदभुत कहानी
यादों का चल पड़ा काफिला
जेहन मे हैं जाने कितनी निशानी।।
कर्मभूमि के रंग मंच पर
लम्हा लम्हा कर बीते कितने ही साल
जिंदगी भाल पर लगता रहा तिलक
अनुभवों का,
कभी खुशी कभी गम,कभी सहजता कभी मलाल।।
रहे दौर बदलते और बदले मौसम,
पर बदली ना हमारी सीमा रानी
चंद लफ्जों में
शांत शांत सी सीमा जी,निभाती रही बखूबी आप अपना किरदार।
बेटी,पत्नी,बहु,मां
शालीनता रही आपका सबसे उत्तम अलंकार।।
मधुर वाणी, मधुर नजरिया,
मधुर व्यवहार
यही खूबियां आती हैं नजर मुझे तो आप में,
दें खुशियां दस्तक सदा आपके द्वार।।
हौले हौले शनै शनै दिन ये एक दिन आ ही जाता है
कार्यक्षेत्र से हो निवृत इंसा लौट घर आता है।।
पर जिंदगी का एक बहुत बड़ा हिस्सा व्यक्ति कार्यक्षेत्र में बिताता है।
आदत सी हो जाती है एक रूटीन की,बिन उसके फिर चैन कहां आता है।।
अब चैन से आगे की जिंदगी बिताना
हर शौक को अपने पूरा करते जाना
हो उजली हर भोर आपकी,
हो हर शाम बड़ी सुहानी।।
चंद लफ्जों में कैसे कह दूं
60 बरस की लंबी कहानी।।
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