*तूं हीं इंद्र धनुष जीवन का,
तूं हीं साजन है रंगोली*
*12 मास बहार है तुझ से,
है तुझ से ही दीवाली होली*
*हर रंग है अब जिंदगी का तुझ से
मैं तो साजन अब तेरी हो ली*
तन संग रूह मेरी भी
आज यही बस सत्य बोली।।
तूं हीं इंद्र धनुष जीवन का
तूं हीं जीवन की रंगोली।।
एक नहीं है, बंधन ये 7 जन्मों का,
भली लागे तुझ संग ही अब हंसी ठिठोली।।
तेरी महक बसी है
अब मेरी श्वाशों में,
जैसे रंगों से सजती है रंगोली।।
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