*सुन मेरे मीत,प्रेम की रीत*
सदा निभाई है, सदा निभाना।
तूं भी जाने, मैं भी जानूं
प्रेम ही,सबसे मधुर तराना।।
*सुन मेरे मीत,गाना वो गीत*
चले थे साथ मिल कर, चलेंगे साथ मिल कर,
बार बार इस को दोहराना।।
मेरी सोच की सुई अटक गई है तुम पर,
इस सोच को कभी ना चटखाना।।
*सुन मेरे मीत,निभाना सदा प्रीत*
आता है मुझे तो बस अब नेह लगाना।
लब कभी कुछ न कह पाएं तो,
खामोशी की भाषा को पढ़ते जाना।।
*सुन मेरे मीत,बड़ी साची तेरी प्रीत*
सफर को मंजिल से हसीन बनाना।
तूं भी जाने, मैं भी जानूं
अहम से वयम का शंख बजाना।।
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