सब के चित में राम हैं*
*राम रात्रि,राम दिवस
राम भोर,शाम हैं।।
*राम भाव, राम शब्द,
राम प्रेम अनुराग हैं *
*राम वचन, राम सोच,
राम कर्म,परिणाम हैं*
*राम भक्ति, राम शक्ति,
राम ज्ञान-विज्ञान हैं*
*राम शब्द, रामअर्थ
राम जनकल्याण हैं*
नहीं मात्र हनुमान के,
सब के चित में राम हैं।।
*राम तीर्थ राम पूजा
राम चारों धाम हैं*
*राम गरिमा,राम महिमा
राम गौरव गान हैं*
*राम श्रद्धा,राम आस्था
राम ही विश्वास हैं*
*राम दिल ,राम धड़कन
राम प्राण श्वास हैं*
नहीं मात्र हनुमान के,
सब के चित में राम हैं।।
*राम कतरा,राम सागर
राम पंडित प्रकांड हैं*
*राम दृष्टि ,राम सृष्टि
राम पूरा ब्रह्मांड हैं*
*राम मुक्ति,राम भक्ति
राम चेतना का नाम है*
नहीं मात्र हनुमान के
सब के चित में राम हैं।।
*राम मानस,राम गीता
राम ही तो कर्म हैं*
राम मनस्वी,राम तपस्वी
राम ही तो धर्म हैं*
*राम सफर, राम मंजिल
राम ही है साधना*
*राम मोक्ष,राम स्वर्ग
राम ही आराधना*
*राम दीप,राम ज्योति,
शरणागत का राम सहारा*
*राम सीप, राममोती
की रक्षा उसकी, जिसने पुकारा*
*राम चित,राम चेतना,
राम ही विचार हैं*
*राम संयम, राम शील,
राम प्रेम आधार हैं*
*राम मर्यादा,राम शिक्षा,
राम ही संस्कार हैं *
*राम अनुशासन, राम प्रतिज्ञा
राम ही सुविचार हैं*
*राम मित्रता,राम संबंध,
राम मधुर संबोधन हैं*
*राम ज्ञान, राम शील,
राम मीठा सा उद्बोधन हैं*
*राम नेकी, राम उद्धार,
राम ही संसार हैं*
*राम नाव, राम मांझी
राम ही पतवार हैं*
नहीं मात्र हनुमान के,
सबके चित में राम हैं।।
*राम अनुभूति,राम अभिव्यक्ति
राम तो पल पल में हैं*
*राम गृहस्थ राम संत राम कल आज और कल में हैं *
*राम धीर, राम गंभीर,.राम परिष्कार हैं
राम भाव राम शब्द राम इजहार हैं*
*राम सामर्थ्य,राम ओज,राम सपना साकार हैं
सौ बात की एक बात है,
राम हर आकृति और आकार हैं*
*राम प्रकाश,राम धरा,
राम ही आकाश हैं*
*राम गति,राम लय, राम ताल,
राम ही भीतर का विकास हैं*
*राम प्रेरक, राम प्रेरणा
राम ही सत्कर्म हैं*
*राम जिजीविषा,राम मेहनत
राम ही तोमरहम हैं।
*विचार में राम, वाणी में राम,
जर्रे जर्रे में राम हैं।
नहीं मात्र हनुमान के सब के चित में राम है।।
*अहिल्या की प्रतीक्षा में राम*
*शबरीभक्ति में जूठे बेर खाते राम* *गुरुजनों की आज्ञा में राम *
*जटायु के त्याग में तपते राम*
*भाइयों के चित में राम*
*मां के वात्सल्य में राम*
*सुग्रीव की मित्रता में राम*
*सीता की निष्ठा में राम*
* सागर की लहरों में राम*
*प्रकृति के कण-कण में राम *
"जीवन के हर क्षण में राम*
*धर्म हानि होने पर धनुष उठाते राम*
*नारी अस्मिता के संरक्षक राम *
*सच में मर्यादा पुरषोत्तम राम*
*अधर्म के रावण पर विजय पाते धर्म के राम*
*सरयू के पावन जल में राम *
*अयोध्या की माटी में राम*
*सत्य,धर्म,कर्तव्य में राम*
*अहम से वयम की बयार चलाते राम *
*अति दीन मलिन दुखी नितहीं
जिन के पद पंकज प्रीती नहीं*
*नहीं प्रीति जिन्हें श्री राम के चरण कमलों से,
नित्य ही दीन,मलिन और दुखी रहते हैं वे जन*
बता गए ये सत्य तुलसीदास जी,
थोड़ा तो देखो कर के मनन
*गरीब से मतलब है जिनके पास न हो गर राम धन*
*मलिन से मतलब है नहीं होता जब निर्मल हमारा चंचल मन*
*दुखी से मतलब है जो नहीं मिला उसके लिए मन जब रहता है खिन्न*
इन तीनों से गर होना मुक्त है
श्री राम चरणों को करो दिल से नमन
*मन के भीतर रावण है,
मन के भीतर राम*
*किस को जगाते किसको सुलाते हैं, ये होते हैं व्यक्ति के काम"
***सच में घट घट में है राम
सच में घट घट में है राम***
श्री रामजन्मोत्सव की आपको शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteराम नाम आधार जिन्हें वो सागर क्या ,समुद्र क्या ,वह कर्मो के फल पाते है। लिखकर नाम श्री राम का पत्थर भी तर जाते है।-2
आभार अभिनंदन जी
जय श्री राम
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