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नहीं मात्र हनुमान के(( भगति भाव स्नेह प्रेमचंद द्वारा))


*नहीं मात्र हनुमान के,
 सब के चित में राम हैं*
 *राम रात्रि,राम दिवस
 राम भोर,शाम हैं।।

 *राम भाव, राम शब्द,
राम प्रेम अनुराग हैं *
*राम वचन, राम सोच,
राम कर्म,परिणाम हैं*

*राम भक्ति, राम शक्ति, 
राम ज्ञान-विज्ञान हैं*
 *राम शब्द, रामअर्थ 
राम जनकल्याण हैं*
नहीं मात्र हनुमान के,
 सब के चित में राम हैं।।

*राम तीर्थ राम पूजा
 राम चारों धाम हैं*
 *राम गरिमा,राम महिमा
 राम गौरव गान हैं*

 *राम श्रद्धा,राम आस्था 
राम ही विश्वास हैं*
*राम दिल ,राम धड़कन
 राम प्राण श्वास हैं*
 नहीं मात्र हनुमान के, 
सब के चित में राम हैं।।

*राम कतरा,राम सागर 
राम पंडित प्रकांड हैं*
 *राम दृष्टि ,राम सृष्टि 
राम पूरा ब्रह्मांड हैं*
 *राम मुक्ति,राम भक्ति
 राम चेतना का नाम है*
 नहीं मात्र हनुमान के
 सब के चित में राम हैं।।

*राम मानस,राम गीता
 राम ही तो कर्म हैं*
 राम मनस्वी,राम तपस्वी
 राम ही तो धर्म हैं*
*राम सफर, राम मंजिल
 राम ही है साधना*
 *राम मोक्ष,राम स्वर्ग 
राम ही आराधना* 

*राम दीप,राम ज्योति,
 शरणागत का राम सहारा*
 *राम सीप, राममोती
 की रक्षा उसकी, जिसने पुकारा*

 *राम चित,राम चेतना,
राम ही विचार हैं*
 *राम संयम, राम शील,
 राम प्रेम आधार हैं*
*राम मर्यादा,राम शिक्षा,
 राम ही संस्कार हैं *

*राम अनुशासन, राम प्रतिज्ञा
 राम ही सुविचार हैं*
 *राम मित्रता,राम संबंध,
राम मधुर संबोधन हैं*
*राम ज्ञान, राम शील,
 राम मीठा सा उद्बोधन हैं*

*राम नेकी, राम उद्धार,
  राम ही संसार हैं*
*राम नाव, राम मांझी 
राम ही पतवार हैं*
नहीं मात्र हनुमान के,
सबके चित में राम हैं।।

*राम अनुभूति,राम अभिव्यक्ति
 राम तो पल पल में हैं*
 *राम गृहस्थ राम संत राम कल आज और कल में हैं *

*राम धीर, राम गंभीर,.राम परिष्कार हैं
 राम भाव राम शब्द राम इजहार हैं*
 *राम सामर्थ्य,राम ओज,राम सपना साकार हैं
सौ बात की एक बात है,
 राम हर आकृति और आकार हैं*

 *राम प्रकाश,राम धरा,
 राम ही आकाश हैं*
*राम गति,राम लय, राम ताल,
 राम ही भीतर का विकास हैं*

*राम प्रेरक, राम प्रेरणा
 राम ही सत्कर्म हैं*
 *राम जिजीविषा,राम मेहनत
 राम ही तोमरहम हैं।
 *विचार में राम, वाणी में राम,
 जर्रे जर्रे में राम हैं।
 नहीं मात्र हनुमान के सब के चित में राम है।।

*अहिल्या की प्रतीक्षा में राम*
 *शबरीभक्ति में जूठे बेर खाते राम* *गुरुजनों की आज्ञा में राम *
*जटायु के त्याग में तपते राम*
 *भाइयों के चित में राम*
 *मां के वात्सल्य में राम*
 *सुग्रीव की मित्रता में राम*
 *सीता की निष्ठा में राम*
* सागर की लहरों में राम*
 *प्रकृति के कण-कण में राम *
"जीवन के हर क्षण में राम*
 *धर्म हानि होने पर धनुष उठाते राम*
 *नारी अस्मिता के संरक्षक राम *
*सच में मर्यादा पुरषोत्तम राम*
*अधर्म के रावण पर विजय पाते धर्म के राम*
 *सरयू के पावन जल में राम *
*अयोध्या की माटी में राम*
 *सत्य,धर्म,कर्तव्य में राम*
*अहम से वयम की बयार चलाते राम *

*अति दीन मलिन दुखी नितहीं
जिन के पद पंकज प्रीती नहीं*

*नहीं प्रीति जिन्हें श्री राम के चरण कमलों से,
नित्य ही दीन,मलिन और दुखी  रहते हैं वे जन*

बता गए ये सत्य तुलसीदास जी,
थोड़ा तो देखो कर के मनन
*गरीब से मतलब है जिनके पास  न हो गर राम धन*
*मलिन से मतलब है  नहीं होता जब निर्मल हमारा चंचल मन*
*दुखी से मतलब है जो नहीं मिला उसके लिए मन जब रहता है खिन्न*
इन तीनों से गर होना मुक्त है 
श्री राम चरणों को करो दिल से नमन

*मन के भीतर रावण है,
 मन के भीतर राम*
 *किस को जगाते किसको सुलाते हैं,  ये होते हैं व्यक्ति के काम"
***सच में घट घट में है राम
 सच में घट घट में है राम***

Comments

  1. श्री रामजन्मोत्सव की आपको शुभकामनाएं ।
    राम नाम आधार जिन्हें वो सागर क्या ,समुद्र क्या ,वह कर्मो के फल पाते है। लिखकर नाम श्री राम का पत्थर भी तर जाते है।-2
    आभार अभिनंदन जी

    ReplyDelete
  2. जय श्री राम

    ReplyDelete

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