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तूं दिल तो मैं हूं धड़कन(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))


//तूं दिल तो मैं धड़कन//
//तूं सुर तो मैं सरगम//
//तूं सागर तो मैं पल//
//तूं वक्त तो मैं पल//

//तूं दीया तो मैं हूं ज्योति//
//तूं सीप तो मैं हूं मोती//
//तूं नदिया तो मैं हूं धार//
//तूं डोर तो मैं हूं हार//

//तूं पंख तो मैं परवाज//
//तूं कंठ तो मैं आवाज//
//तूं नयन मैं हूं नूर//
//तूं हाला तो मैं हूं सरूर//

//तूं रीत तो मैं आवाज//
//तूं भाव तो मैं अल्फाज//
//तूं मीत तो मैं हूं प्रीत//
//तूं संगीत तो मैं हूं गीत//

//तूं माखन तो मैं हूं मधानी//
//तूं राजा तो मैं हूं रानी//
//तूं मंजिल तो मैं हूं राह//
//तूं मिलन तो मैं हूं चाह//

//तूं लक्ष्य तो मैं प्रयास//
//तूं प्राप्य तो मैं आस//
//तूं इमारत तो मैं आधार//
//तूं विश्वाश तो मैं प्यार//

//तूं परिंदा तो मैं पंख//
//तूं परीक्षा तो मैं अंक//
//तूं बादल तो मैं बरखा//
//तूं सूत तो मैं चरखा//

//तूं अभिव्यक्ति तो मैं अहसास//
//तूं श्रम तो मैं विकास//
//तूं मंदिर तो मैं मूरत//
//तूं आईना तो मैं सूरत//

//तूं प्रेम तो मैं विश्वाश//
//तूं भगति तो मैं अरदास//
//तूं पतंग तो मैं डोर//
//तूं दिनकर तो मैं उजली भोर//

//तूं रंग तो मैं रंगरेज//
//तूं आदित्य तो मैं तेज़//
//तूं साहित्य तो मैं कविता//
//तूं जल तो मैं सरिता//

//तूं पालकी तो मैं कहार//
//तूं चमन तो मैं बहार//
//तूं चेतना तो मैं हूं सपंदन//
//तूं विचार तो मैं मंथन//

//तूं मंच तो मैं किरदार//
//तूं जिम्मेदारी तो मैं अधिकार//
//तूं पर्व तो मैं उलास//
//तूं पुष्प तो मैं सुवास//

//तूं गीता तो मैं कर्म//
//तूं रामायण तो मैं धर्म//
//तूं कर्मयोगी तो मैं प्रयास//
//तूं जल तो मैं हूं प्यास//

//तूं निंदिया तो मैं ख्वाब//
//तूं हर्फ तो मैं किताब//
//तूं शाम तो मैं राधा//
//तूं राम तो मैं मर्यादा//

//तूं शबरी तो मैं धीरज//
//तूं जल तो मैं नीरज//
//तूं मीरा तो मैं हूं पूजा//
//नहीं लगता तुझ सा कोई दूजा// 

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