दिल ने एक दिन पूछा धड़कन से,"मेरे भीतर कैसे इतने गहराई से हो तुम समाई???
हौले से बोली धड़कन,"मेरा तो वजूद ही तुम से है,
तेरे अस्तित्व में ही छिपी है मेरी परछाई।।
जिस पल मैं रुक जाती हूं,
ततक्षण तुम भी बन्द हो जाते हो।
मेरे बिन मेरे प्यारे प्रीतम सांस एक भी तो ले नहीं पाते हो।।
दिल हौले से मुसकाया
जवाब धड़कन का भीतर से भाया।।
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