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कर्मभूमि के रंगमंच पर(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*कार्यक्षेत्र से हो सेवानिवृत
एक अच्छा सा जीवन बिताना*
*ना होगा अब कोई समय का बंधन
अपने मन की सुनते जाना*

*कर्मभूमि के रंगमंच पर निभाया बखूबी आपने अपना हर किरदार*

लम्हा लम्हा कर आ गया पल
सेवानिवृति का,
मिलें आपको खुशियां बेशुमार*

इसी दुआ का हम सब गा रहे हैं मधुर तराना
हसरतें और हैसियत मिलें एक ही मोड़ पर, 
हर चाहत को पूरा करते जाना।।

कार्यक्षेत्र से हो सेवानिवृत,
एक अच्छा सा जीवन बिताना।
स्वस्थ सरल सहज सा जीवन,
हो बस आगे का यही फसाना।।

*बहुत बड़ा शुभ दिन है यह जो
 आपके जीवन में आया*
 *जाने कितनी यादों ने होगा
 इस दिन को महकाया*

 *आज  कार्यालय से आप हमारे मधुर स्मृतियों का ले जाना खजाना।
 कार्य क्षेत्र से हो सेवानिवृत्त एक अच्छा सा जीवन बिताना।।

 बहुत बड़े जीवन का हिस्सा  कार्यालय में आपने बिताया है।
 कुछ खट्टी कुछ मीठे अनुभवों ने  जाने क्या-क्या सिखाया है।।

बहुत सीखा है और भी सीखोगे
 आगे और भी सीखते जाना।
 हो मन में अगर कोई शौक और इच्छा उसको अब पूरे मन से निभाना।। 

कार्यक्षेत्र से हो सेवानिवृत्त एक अच्छा सा जीवन बिताना ।
आज विदाई की इस बेला पर,
 हम सब गा रहे हैं यही तराना।।

 शेष आपका जीवन रहे खुशहाल 
पर देखो हमको भूल ना जाना।।

कर्म ही  असली परिचय पत्र होते हैं किसी व्यक्ति का,वरना एक ही नाम के व्यक्ति होते हैं हजार
किसी किसी का ही होता है जग में 
मधुर वाणी और बेहतरीन व्यवहार
इस फेरहिस्त में  काफी ऊपर आता है नाम आपका,
सच में अनुभवों का आप नायाब खजाना
कार्य क्षेत्र से हो सेवा निवृत,
एक अच्छा सा जीवन बिताना।।
बहुत खास है ये संस्था एल आई सी हमारी,ख्वाबों में भी ना इसे भुलाना।
ये जीवन के साथ भी है,ये जीवन के बाद भी है,निभाती है अपना सच्चा  याराना।।

हौले हौले शनै शनै दिन ये एक दिन आ ही जाता है
ज्वानिंग संग ही मुकर्रर हो जाता है समय सेवानिवृति का,
एक सफर नौकरी का शुरू हो जाता है।।
आदि है तो अंत भी  है,इस बात को सदा जेहन में  बसाना
कार्य क्षेत्र से हो सेवानिवृत,एक अच्छा सा जीवन बिताना

एक दुआ करता है आज ये
पूरा एल आई सी हिसार परिवार
हो सदा आपको खुशियों के जीवन में दीदार।।
अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु का
मिल जाए आपको उपहार।।

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