*स्नेह सागर* कहूं या कहूं तुझे *जिजीविषा*
*प्रेम सुता* कहूं या कहूं *उल्लास धरा का*
*सुखद आभास* कहूं या कहूं *ऊष्मा*
*मधुर व्यवहार,मधुर बोली और मधुर सोच की त्रिवेणी *कहूं
या कहूं *नातों की गरमाई*
*कान्हा की बांसुरी की तान कहूं*
या कहूं *राम की मर्यादा*
*राधा का सच्चा समर्पण* कहूं या कहूं *मीरा का इकतारा*
*सागर की गहराई *कहूं या कहूं *सात सुरों की मल्लिका*
*हर अंजुमन की रौनक कहूं* या कहूं
*हर नाते पर मधुरता की मोहर*
*संयम की प्रकाष्ठा कहूं *या कहूं *अनंत गगन के सपनो की ऊंची उड़ान*
*सबकी खास कहूं *या *प्रेम का उच्चतम शिखर कहूं*
*वात्सल्य का सागर कहूं *या कहूं *उच्च कोटि की डिप्लोमेट*
*संस्कारों की एफ डी *कहूं या *भगति की धारा*
कुछ भी कह लूं
हर संज्ञा हर उपाधि
छोटी पड जाती है मां जाई!
11 स्वर और 33 व्यंजन भी नहीं सक्षम हैं जो बता सकें कैसी थी मेरी मां जाई।।
Comments
Post a Comment