*बारिश की पहली ठंडी फुहार सी तूं*
*जन्मदिन पर सुंदर उपहार सी तूं*
*बारिश के बाद माटी की सौंधी सौंधी महक सी तूं*
*बाबुल के आंगन में चिरैया की चहक सी तूं*
*जाड़े की गुनगुनी धूप सी तूं*
मरुधर में तूं जैसे हरियाली
*बसंत में जैसे आम की अमराई*
पर्वों में जैसे हो दीवाली
*किसी शादी में जैसे मधुर सी शहनाई*
*मंदिर में जैसे घंटी की आवाज*
*सुर के साथ जैसे सजता हो साज*
*मस्जिद में जैसे कोई अजान*
*पुजारी के लिए जैसे भगवान*
*बच्चे में चंचलता सी
सपनों में जैसे ऊंची उड़ान*
*एक बात आती है समझ में
ईश्वर का रही तूं वरदान*
और परिचय क्या दूं तेरा????
*पूरा जहान भी मिल कर नहीं
भर सकता तेरा खालिस्तान*
Comments
Post a Comment