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समाधान हेतु आगमन,संतुष्टि सहित प्रस्थान(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

* समाधान हेतु  आगमन
संतुष्टि सहित प्रस्थान*
*हमारा प्यार हिसार परिवार*
की यही सच्ची पहचान*

*मुस्कान ही है जिनका परिधान*
*हर समस्या का खोज लेते समाधान*
सौ बात की एक बात है
मूल में इसके जनकल्याण

 कोई और नहीं हैं,
ये कर्मठ,हमारा प्यार हिसार के बाशिंदे, 

*कर्मानंद ही है जिनकी पहचान*

*चले आते हैं भोर में ही,
करने सार्थक अपना इतवार*
*ऐसे मांझी हैं ये मतवाले*
*बखूबी थामे हैं अपनी पतवार*

*न दिन देखते हैं न रात देखते हैं*
जोश,जज्बे,जुनून का मिला इन्हे वरदान।।
*कुछ  रोक नहीं सकता इन्हें,
चाहे आंधी हो या तूफान*
मातृ भूमि का ऋण चुकाने,
गंतव्य  हेतु करते प्रस्थान
*सच मुस्कान ही है इनका परिधान*

*सार्थक हो जाती है मेरी लेखनी,
 जब चलती है  इन पर 
सतत,अविलंब अविराम*
*समूह नहीं परिवार है ये*
*सब कर्मठता का करते हैं आह्वान*
*समाधान हेतु आगमन,
संतुष्टि सहित प्रस्थान*

*मूल में जनकल्याण है इनकी सोच में*
*अदभुत हैं सदस्य सारे,
विलक्षण है इनका बागबान*

*आप भी आओ हम भी आएं,
लक्ष्य है एक ही,हो सुंदर जहान*
*आने वाली पीढ़ियों के लिए
 विरासत होगी यही सच्ची,
* मैं भी जानूं,तूं भी जान*

कोई राग नहीं,कोई द्वेष नहीं
कोई कष्ट नहीं कोई क्लेश नहीं
मतभेद बेशक हो जाएं
पर सच में कोई मनभेद नहीं
इसी भाव की यहां बहती है सरिता
अहम से वयम,यही इस परिवार की पहचान
समाधान हेतु आगमन,संतुष्टि सहित प्रस्थान
स्वच्छता, कला ,सुंदरता की बहती है यहां त्रिवेणी
   क्या क्या करूं मैं और गुणगान??
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