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ए मेरे वतन के लोगों(( श्रद्धांजलि स्नेह प्रेमचंद द्वारा)

ए वतन के लोगों!
चलो थोड़ा टटोलें 
1919,13 अप्रैल का इतिहास।

जलियांवाला बाग में जो अंधाधुंध गोलीबारी की थी जनरल डायर ने,बिछा दी थी अनेकों लाश।।

क्रूरता ने नँगा तांडव किया था उस दिन,
हुई थी मानवता कलंकित और शर्मसार।

कुछ भूने गए गोली के आगे, 
कुएं में भी कूदे बेशुमार।
आओ नमन करें और दें श्रद्धाञ्जलि उन वीरों को,
हुए जो दमन नीति का शिकार।।

काल के कपाल पर चिन्हित हो
जाती हैं कुछ घटनाएं ऐसी,
जिक्र जेहन पर दस्तक देती हैं बार बार।।
20 बरस बाद शहीद ऊधम सिंह ने लिया था बदला इस घटना का,
शत शत नमन और वंदन उन्हें 
बारंबार।।
मातृभूमि का ऋण चुका देते हैं वीर ऐसे,नहीं रहते फिर वे कर्जदार।।

सच में कुछ घटनाएं होती है ऐसी,
सिसकता है उनसे आज भी इतिहास
जब जब आता है ये 13 अप्रैल,
सुलगने लगते हैं अहसास ।
शत शत नमन और वंदन उन 
शहीदों को,
महकते हैं ऐसे जैसे पहुपन में सुवास।।
          स्नेह प्रेमचंद


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