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चंद लफ्जों में कैसे कह दूं???

*चंद लफ्जों में कैसे कह दूं???
 बरस 71 की लंबी कहानी*

*पिता का साया बहुत ठंडा होता है,
पिता है तो सुंदर है जिंदगानी*

*मात पिता को देख देख कर
 सफर जिंदगी का होता है आरंभ*
*क्या होती है अनुभूति और अभिव्यक्ति
होती है उनसे ही प्रारंभ*

*एक दौर का हो जाता है अंत
 जग से पिता के जाने के बाद*
*जीवन के हर मोड़ पर आ जाते हैं मात पिता हमे याद*

*हमारे लिए बेहतर नहीं बेहतरीन चाहने वाले मात पिता नहीं चाहते हो हमे कोई परेशानी*

*चंद लफ्जों में जैसे कह दूनी71 बरस की लंबी कहानी????

10 अप्रैल को एक बार भूले थे जन्मदिन पा का हम,
लगता है ऐसे कैसे कर दी हमने नादानी???
पुष्प ही गर भूलेगा बागबान को,
निश्चित ही होगी परेशानी

कर्म से कभी पा ने जी ना चुराया
सामर्थ्य से अधिक कर के दिखाया
आज जन्मदिन के दिन जिक्र जेहन में pa का उभर कर आया।।
लेखन में अपने नाम के आगे पा नाम आपका मैने लगाया।।

पिता के जाते ही चला जाता है आधा पीहर तो,पिता प्रेम की बेटी सबसे बड़ी निशानी।
चंद लफ्जों में कैसे कह दूं???
71 बरस की लंबी कहानी।।
           स्नेह प्रेमचंद



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