मित्र है तो
गिरी समान दुख
भी कोई दुख नही,
मित्र है तो
हर समस्या का समाधान है,
मित्र है तो
जीवन की डगर आसान है,
मित्र है तो धरा तो क्या
अपना ही आसमान है,
मित्र है तो अग्निपथ सा
जीवन भी आसान है
निरस्त नहीं दुरुस्त कर
देता है दोस्ती का नाता मित्र,
मित्र होना भी ईश्वर का
वरदान है।।
मित्र है तो सागर की थाह भी
मिल जाती है,
मित्र है तो हर कली प्यारा सा
कुसुम बन जाती है।।
मित्र है तो हर डगर
सरल बन जाती है
मित्र है तो फिर याद कहां
और किसी की आती है।।
*सुमन की महक है मित्र*
*सागर का नीर है मित्र*
*प्रकृति में जैसे समीर है मित्र*
"जीवन का मधुर सा संगीत है मित्र*
" ऊर्जा है उलास है रीत है प्रीत है मित्र*
*रेगिस्तान में हरियाली है मित्र*
"गायन में जैसे कवाली है मित्र*
"सकारात्मक सोच की मोहर है मित्र*
*हमारी मुस्कान के पीछे छिपी उदासी पढ़ लेता है मित्र*
*मैं हूं ना* जैसे संबोधन से चित हर लेता है मित्र
*जीवन के बैंक में अनमोल सी एफ डी है मित्र जो आजीवन अपने सहयोग और समय का ब्याज देता रहता है।।
*सच्चा बैंक बैलेंस है मित्र*
*खुशी हो जाती है संग दूनी जिनके
और गम आधा रह जाता है*
*ऐसा निस्वार्थ केवल मित्रता का नाता है*
"जब कोई और नजर नहीं आता है
मित्र एक फोन कॉल की दूरी पर रह जाता है।।
स्नेह प्रेमचंद
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