भोर हुई,दोपहर हुई
साँझ ढली, और रात हुई
जब एक दिन के भी इतने होते हैं रूप
फिर जीवन तो जीवन है
है कभी छाँव, कभी घनी सी धूप
कभी मिलन है,है कभी बिछोडा
है किसी ने जोड़ा,किसी ने तोड़ा
ज़द्दोज़हद में सफर एक दिन हो जाता है पूरा
कभी खुशी मिली,कभी गम मिले
कभी अधिक मिला,कभी थोड़ा थोड़ा
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