कला का नित नित होता विस्तार
कला कल्पना को देती आकार
कला सपने करती लम्हा लम्हा साकार
कला से सुंदर बनता संसार
ईश्वर के प्रिय बच्चे होते हैं कलाकार
कला कल भी थी आज भी है कल और भी होगा इसका परिश्कार
कला कलाकार की कलम है वो,
जोड़ देती है जो दिलों के तार
नीरसता को हर लेती है कला
सरसता का है कला में सार
चुन लेता है चुनिंदा लोगों को ईश्वर,
कोई लेखक,कोई गायक कोई चित्रकार।।
कला ना जाने सरहद कोई,
कला ना जाने जाति मजहब का आकार
कला ना जाने धनी और निर्धन
कला कल्याण का आधार।।
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