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रघुपति राघव राजा राम(( भगति भाव स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*रसना पर हो बस यही नाम*
*रघुपति राघव राजा राम*

*भगत के वश में हैं भगवान*
*सत्य ये जाने सारा जहान*
*नहीं मात्र हनुमान के
सबके चित में बसे हैं राम*

*राम से मर्यादा पुरषोत्तम राम
बनने की है बड़ी अदभुत कहानी*

*तप,त्याग,शील,संयम,कौशल,
मर्यादा
हर भाव की राम अमर निशानी*

*यूं हीं तो नहीं कहा जाता
राम से बड़ा राम का नाम
रसना पर हो बस यही नाम
रघुपति राघव राजा राम*

*राम सा पुत्र नहीं कोई जहां में*
*पिता वचन का किया बखूबी पालन*
*बुराई का अंत किया जहां से,
ऐसे संस्कार राम के, ऐसा था लालन*

*त्याग दिए महल के सुख सारे,
*वन गमन* किया,
ऐसे राम के अदभुत काम
रघुपति राघव राजा राम*

*सुग्रीव संग मित्रता बखूबी निभाई
हनुमान चित में अपनी मूर्ति बसाई*
अहिल्या का कर दिया उद्धार 

*सौंप लंका का राज सुग्रीव को
लौट आए अयोध्या तारणहार*

*देख राम का अद्भुत जीवन
आता है समझ,
 राम ही तीर्थ राम ही धाम*
*रघुपति राघव राजा राम*
*राम रात्रि,राम दिवस,
राम ही भोर है राम ही धाम*


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