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संवाद ज़रूरी है(( विचार स्नेह प्रेम चंद द्वारा))

जैसे कूलर में पानी ज़रूरी है
जैसे गुब्बारे में हवा ज़रूरी है
जैसे दिल मे धड़कन ज़रूरी है
जैसे मा में ममता ज़रूरी है
जैसे बीमारी में दवा ज़रूरी है
जैसे सूरज में तेज ज़रूरी है
जैसे प्रकृति में हरियाली ज़रूरी है
जैसे सांस लेने के लिए पवन ज़रूरी है
जैसे चोट पर मरहम ज़रूरी है
जैसे गाड़ी में पेट्रोल ज़रूरी है
जैसे किताब में अल्फ़ाज़ ज़रूरी है
जैसे मटके में मिठास ज़रूरी है
जैसे सावन में बरखा ज़रूरी है
जैसे पलँग पर तकिया ज़रूरी है
जैसे मा के लिए बेटी ज़रूरी है
जैसे पिता में सुरक्षा ज़रूरी है
जैसे प्राणी में करुणा ज़रूरी है

वैसे ही रिश्ता बनाये रखने के लिए संवाद ज़रूरी है।।।।।

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वही मित्र है((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कह सकें हम जिनसे बातें दिल की, वही मित्र है। जो हमारे गुण और अवगुण दोनों से ही परिचित होते हैं, वही मित्र हैं। जहां औपचारिकता की कोई जरूरत नहीं होती,वहां मित्र हैं।। जाति, धर्म, रंगभेद, प्रांत, शहर,देश,आयु,हर सरहद से जो पार खड़े हैं वही मित्र हैं।। *कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार* यही होता है सच्ची मित्रता का आधार।। मान है मित्रता,और है मनुहार। स्नेह है मित्रता,और है सच्चा दुलार। नाता नहीं बेशक ये खून का, पर है मित्रता अपनेपन का सार।। छोटी छोटी बातों का मित्र कभी बुरा नहीं मानते। क्योंकि कैसा है मित्र उनका, ये बखूबी हैं जानते।। मित्रता जरूरी नहीं एक जैसे व्यक्तित्व के लोगों में ही हो, कान्हा और सुदामा की मित्रता इसका सटीक उदाहरण है। राम और सुग्रीव की मित्रता भी विचारणीय है।। हर भाव जिससे हम साझा कर सकें और मन यह ना सोचें कि यह बताने से मित्र क्या सोचेगा?? वही मित्र है।। बाज़ औकात, मित्र हमारे भविष्य के बारे में भी हम से बेहतर जान लेते हैं। सबसे पहली मित्र,सबसे प्यारी मित्र मां होती है,किसी भी सच्चे और गहरे नाते की पहली शर्त मित्र होना है।। मित्र मजाक ज़रूर करते हैं,परंतु कटाक...

बुआ भतीजी

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