लोग कहते हैं आज मातृ दिवस है कौन सा दिवस है जो बिन मां के हो???
**स्नेह,समर्पण,सुरक्षा,सहयोग
जिस एक ही गांव में रहते हैं
मेरी छोटी सी समझ को आता है समझ,उसे मां की ठंडी छांव कहते हैं**
**तेरी स्मृति पाथेय बनी है थके पथिक की पंथा सी
अधिक तो नहीं आता कहना
तूं रही कौओं में हंसा सी**
11स्वर और 33 व्यंजन भी कम हैं जो तेरे बारे में बता पाऊं
मां तेरे जैसी कर्मठता और जिजीविषा बता दे कहां से लाऊं????
*जिंदगी की किताब के हर किरतास पर नजर मां तूं हीं तूं नजर आती है
जैसे एक सांस आती है
एक सांस जाती है*
कहां से लाऊं वो बारह खड़ी
जो तेरे बारे में कह पाऊं
नहीं सामर्थ्य मेरे लफ्जों में
जो भावों को मैं बता पाऊं
Comments
Post a Comment