जिस गांव में बड़े प्रेम से रहते हैं
मेरी नजर में तो बस एक जगह है
*उसे मां की ठंडी छांव ही कहते हैं*
*संयम,संतोष,सौंदर्य,सहजता*
जहां चारों का है पूरा अधिकार
एक मात्र जगह वो जहां में*
*सिर्फ और सिर्फ मां का प्यार*
*समझ,प्रेरणा,साथ,विश्वास*
सबको है जहां सच्ची आस
तूं भी जाने मैं भी जानूं*
*जहां होता है मां का वास*
🌞 Sun, shadow winter rain
हर मौसम में होता जहां gain
*मां के आंचल की ठंडी छाया
सोच को बस यही समझ में आया*
*एकांत,महफिल,विश्व,समाज*
एक छत्र जिसका होता राज
तूं भी जाने मैं भी जानूं*
*मां कंठ तो हम आवाज*
*दिल,दिमाग,चित,चेतना*
बिन कहे जो पढ़ लेती है वेदना
*जग में होती वो महतारी
जान गई ये दुनिया सारी*
*गीता,बाइबल,वेद,कुरान*
इनसे उपर मां है महान
*भले ही हो ना अक्षर ज्ञान
पढ़ लेती है मनोविज्ञान*
*अंबर,धरा,चांद,आफताब*
मां से सुंदर नहीं कोई किताब
मातृप्रेम का तो ईश्वर भी,
आज तलक नहीं लगा पाए हिसाब
*ग्रीष्म,पतझड़,शिशिर,बसंत*
हर रुत में मां का प्रेम अनंत
मां वात्सल्य की अद्भुत बारह खडी,
*मां सा नहीं होगा कोई भी संत*
*स्वर,व्यंजन,भाव,अलंकार*
मां जीवन का सबसे सुंदर श्रृंगार
अपना पर्याय भेज दिया ईश्वर ने,
*धो देती चित से समस्त विकार*
*संबोधन,उद्बोधन,संबंध,संवाद,*
श्रेष्ठ है सबमें निर्विवाद
न शिकन कभी पेशानी पर उसके,
*वो ही सुनती है हर फरियाद*
*करुणा,कोमलता,ममता,त्याग*
मां, इन भावों का मिश्रित राग
हर संज्ञा,सर्वनाम का बोध कराने वाली मां,होती जैसे चूल्हे में आग
*भोर,सांझ,दिन और रात*
मां जैसी कहीं होती नहीं बात
*मां ही तो है पूरे जग में,
समझ लेती जो अनकहे जज़्बात*
हर मोड़ पर संग खड़ी है
चाहे हो जैसे भी हालात
*मधुरता,विनम्रता,कर्मठता,अनुराग
हर भाव मां में जैसे पुष्प में पराग
हर दर्द चैन में मां
जैसे दिल में धड़कन
सुर मां, ताल मां,
मां ही है मधुर सरगम
स्नेह प्रेमचंद
माँ के प्रति अपने एहसासों को बहुत सुन्दरता से शब्द दिए हैं आपने। 🙏
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