*सार्थक सा लगने लगा है अब इतवार*
*सही मायने में जिंदगी लगी करने कर्मों का श्रृंगार*
आप भी आओ हम भी आएं
*हमारा प्यार हिसार*
*यहां अहम से वयम की सतत चलती है बयार*
*कर्म ही असली परिचय पत्र होते हैं व्यक्ति का,
वरना एक ही नाम के व्यक्ति होते हैं हजार*
*यहां स्वच्छता रहती है जागरूकता की गोद में,सौंदर्य से कण कण में आता है निखार*
*सार्थक सा लगने लगा है अब इतवार*
Comments
Post a Comment