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ऐसा होता है पिता(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

मेरी इस रचना की खासियत यही है कि एल आई सी policies के नामों का सहारा ले कर जो कि स्टार कॉलम में हैं, पिता की खूबियों और हर पिता के चित चिंतन का वर्णन किया गया है।। 

*आजीवन*बंदोबस्ती* और *धन वापसी*तीन प्रकार की एल आई सी पॉलिसी होती हैं,इसके बाद उनका वर्गीकरण होता है।।मेरी छोटी सी कोशिश शायद आपको पसंद आए।।
*आजीवन* हमारी जिम्मेदारी लेने वाला होता है पिता

"बंदोबस्त* करता है हमारे सुखद भविष्य का पिता

*धन वापसी* मिलती रहे ताउम्र,
ऐसा कुछ सोचता रहता है पिता

*धनरक्षा* होती रहे सदा,
इसी उधेड़बुन में लगा रहता है पिता

हमारे *कोमल जीवन* को खानी पड़ी ना कभी कोई कठोर ठोकर,सोचता रहता है पिता

*बाल विद्या*से वंचित न हों हम कभी
शिक्षा संग संस्कार देता रहता है पिता

*जीवन किरण*उम्मीद की से रहे रोशन सदा,दुआ करता है पिता

*जीवन उमंग* रहे सदा बरकरार
इसी कोशिश में लगा रहता है पिता

कोई अवसाद विषाद ना आए चित में कभी,*जीवन तरंग* से हो सदा गुलजार,चाहता है पिता

*जीवन शिरोमणी* हो हमारा,
दुआ करता रहता है पिता

*जीवन मंगल* मय रहे सदा बच्चों का
यही पिता की मंशा होती है


*भाग्य लक्ष्मी*का करे सदा वरण
किसी बात से महरूम रहे ना हम कभी,यह बाप की इच्छा तहे दिल से होती है।।

*जीवन स्नेह* से  सदा रहे आप्लावित,चाहता है पिता
हर धूप छांव में बरगद सा साया
बन जाता है पिता

*जीवन लाभ* का करें सदा वरण हम और जीवन में हमे हो ना कभी कोई हानि,यही भाव प्राथमिक पिता चित में रहता है सदा

*जीवन ज्योति* हमारी सदा रहे प्रज्वलित,इसी बात का अनहद नाद पिता चित में बजता है सदा

 *धन संचय* कर हमारे वर्तमान और भविष्य को सुखद बनाने की कशिश में जीता है पिता

*जीवन अमर* सा कर जाऊं बच्चों का हर सुख सुविधा से,उपलब्ध सीमित संसाधनों में भी यथासंभव प्रयत्न करता है पिता

सुधार और निखार लाने की हर कोशिश में दिन रात लगा रहता है पिता

*आरोग्य रक्षक* वैक्सीन और संजीवनी बूटी सा होता है पिता

*जीवन लक्ष्य* मिले हमे सदा सही समय पर,पिता की पुरजोर कोशिश रहती है सदा

*जीवन अक्षय* न हो कभी हमारा,
दिल से दुआ देता है पिता

*जीवन आजाद* रहे हमारा हर बुराई की गुलामी से,इस बात की मन्नत करता है पिता

*जीवन सुरक्षा* मिले सदा बच्चों को,
बेशक खुद आहत होता रहता है पिता

*आधार स्तंभ* कहूं या कहूं पिता को *आधार शिला* सच में कोई अतिश्योक्ति न होगी,
एक बात आती है जेहन में,
पिता से अलग भगवान की सूरत क्या होगी???

*जीवन आनंद* है संग पिता के 
अपनी है धरा अपना है आसमान
हर ख्वाब बन जाता है हकीकत,
पिता है तो हैं हम धनवान

*जीवन आस्था* से भर जाता है
क्योंकि हर धूप छांव में संग खड़ा होता है पिता

*जीवन सरल* हो ही जाता है पिता के साए तले,
अग्निपथ को सहज पथ बना देता है पिता

*जीवन उमंग* का सदा करे चयन
प्राथमिकता होती है पिता की

*फ्यूचर प्लस*होता रहे हमारा,
इसी जुगाड़ में लगा रहता है पिता

*मनी प्लस* होता रहे सदा कभी माइनस न हो,इसी सोच को कर्म और परिणाम की त्रिवेणी से मिलवाता रहता है पिता

*जीवन शांति* से रहे सदा भरा हमारा,इस बात का हमारे जन्म से ही ताना बाना बुनता रहता है पिता

*धन वर्षा*हो किस्मत में बच्चों की,
किसी अभाव के प्रभाव से व्यक्तित्व उनका कभी ना डोले
तेरा मेरा ही नहीं,चित हर पिता का यही बोले

*जीवन,समृद्धि* की राह चले सदा,
सुनहरे भविष्य के ताने बाने बुनता रहता है पिता

*जिंदगी के साथ भी,जिंदगी के बाद भी
पिता कभी नहीं होते हमसे दूर*
*सच में पिता जग से जा कर भी जेहन से कभी नहीं जाते,सही होगा कहना उन्हें कोहिनूर*

*आस है पिता,विश्वाश है पिता*
*सच में सबसे खास है पिता*

*सुरक्षा है पिता,चेतना है पिता*
*बरगद सा घणा साया है पिता*

*रेगिस्तान में हरियाली है पिता*
*पर्वों में जैसे दीवाली है पिता*

*मां का रोब और रुतबा है पिता*
*संयम,मर्यादा,और मेहनत है पिता*

*अनुशासन है पिता अधिकार है पिता*
*मां और बच्चों के लिए सारा संसार है पिता*

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