कृष्ण हैं पुष्प तो राधा सुगंध है।
कृष्ण हैं दिल तो राधा है धड़कन।
कृष्ण हैं पवन तो राधा गति है।
अभिव्यक्ति है कान्हा तो राधा है अहसास।
प्रेम है कान्हा तो राधा अनुराग है।
कृष्ण है पपीहा तो राधा है कोयल।
कृष्ण है अधर तो राधा है बांसुरी,
नयन हैं कान्हा तो चितवन है राधा,
स्वाद है गोविंद तो भोजन है राधा।
गगन है राधा तो सूरज है कान्हा,
सुर है मोहन तो सरगम है राधा,
नयन हैं कान्हा तो नूर है राधा
पवन हैं कान्हा तो गति है राधा
दिल हैं कान्हा तो धड़कन है राधा
माझी हैं कान्हा तो पतवार है राधा
सागर है मोहन तो लहर है राधा,
नदिया है कान्हा तो बहाव है राधा,
मस्तक है कान्हा तो बिंदिया है राधा,
मांग है कान्हा तो सिंदूर है राधा,
राधा कृष्ण है,कृष्ण ही राधा है।
आइना हैं कान्हा तो अक्स है राधा
दो नही एक ही है,
यही कारण है आज भी राधा का नाम कान्हा से पहले लिया जाता है।।
**राधे कृष्ण,राधे कृष्ण**
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