निपट गया दीए का तेल*
*नहीं जग के मेले में ये संभव
हो जाए जाने वालों से मेल*
*पंचतत्व में मिल गई
बरसों से सहेजी नश्वर काया*
*जिंदगी का सफर भी क्या सफर है
सब चलते हैं मगर कोई समझ न पाया*
*फिर एक दिन आ जाता है बुलावा
हो जाता है खत्म सांसों का खेल*
*सिमट गई सांसों की पूंजी
निपट गया दीए का तेल*
*एक जीवन मगर अनेक किरदार*
*अधिक जिम्मेदारियां थोड़े अधिकार*
*पुत्र,भाई, पति,पिता,नाना,दादा
बनते बनते एक दिन चलने को तैयार*
*संयमित और अनुशासित सा जीवन बिताया आपने*
*हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाया आपने*
*हर मोड़ पर अपना स्वाभिमान बना कर रखा आपने*
*कभी गिला ना शिकवा न की कोई शिकायत आपने*
*जिंदगी की हर चुनौती को हंस कर गले लगाया आपने*
*जीवन साथी होने का सच्चा फर्ज निभाया आपने*
*जीवन के अग्नि पथ को अपनी इच्छा शक्ति से सहज पथ बनाया आपने*
**सौ बात की एक बात है
बहुत कुछ सच में सिखाया है आपने**
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