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क्यों नहीं फटा धरा का हिया(( उदगार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

 क्यों नहीं फटा धरा का हिया
क्यों नहीं अनंत गगन डोला??
*फिर हुआ चीर हरण 
किसी द्रौपदी का*
*फिर किसी दुशासन ने 
किसी द्रौपदी का चीर है खोला??

*मणिपुर घटना* से देश हुआ है
आहत और शर्मसार
सोच से भी नहीं सोचा जाता
कैसे कर सकता है कोई इतना
अमानवीय व्यवहार????


क्यों नहीं फटा धरा का हिया,
क्यों नहीं अनंत गगन डोला?

फिर मलिन हुआ आंचल किसी बाला का,
क्यों सभ्य होने का ओढ़ा है 
लोगों ने चोला??

*फिर सब बने द्रोण और भीष्म*
क्यों खून किसी का नहीं खौला??
भीड़ के भेड़ियों ने कैसे 
दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाया?
मैतई, कुकी या हो फिर कोई भी समुदाय,क्यों अंतरात्मा ने मंथन का बिगुल नहीं बजाया??? 

*फिर रुग्ण हुई संकुचित सोच,
फिर कामुकता मर्यादा पर हुई हावी*
ऐसी ही घटती रही गर घटनाएं
कैसा भारत होगा भावी????

ऐसे मापदंडों को क्या कभी आपने अपने दिल से है तोला???
मूक बधिर से इस समाज ने क्यों अपना मुख वहां नहीं खोला??
*सजा ए मौत* भी कम है इस दुष्कर्म के लिए,
*इस शर्म सार घटना ने फिज़ा ने जहर है घोला*
क्यों नहीं फटा धरा का जिया
क्यों नहीं अनंत गगन डोला???

*पुरुष बने रहे धृतराष्ट्र ,
नारियां बनी रही गांधारी*
*ऐसी चुप्पी लोकतंत्र के लिए कभी
हो ही नहीं सकती हितकारी*

क्यों खामोशी ने नहीं किया कोलाहल,क्यों चिंगारी नहीं बन पाई शोला??
क्यों नहीं फटा धरा का हिया,
क्यों नहीं अनंत गगन डोला????

*लाचार कानून व्यस्था, वस्त्रहीन संस्कृति,और दागदार हुआ दामन*
*घायल तन और घायल रूह,
सदाबहार पतझड़, रोता सावन*

*ये फिजा में जैसे हो किसी ने विष घोला*
क्यों नहीं फटा धरा का जिया
क्यों नहीं अनंत गगन डोला???

*फिर शर्मसार हुई मानवता*
प्रश्न चिन्ह लगा सभ्य समाज पर
*रूदन,बेबसी,अन्याय,चीत्कार ने जैसे अपना पिटारा खोला*
*फिर कर्तव्य के उपर हावी हुई मनमानी,
हुआ अवरुद्ध कंठ
जैसे गले में अटक गया हो गोला*
क्यों नहीं फटा धरा का हिया
क्यों नहीं अनंत गगन डोला???

भीड़ के भेड़िए आदमखोरों ने
कैसे क्रूरता का शंख बजाया??
यह तो पार हुई लक्ष्मणरेखा हर
मर्यादा की,इस अतिक्रमण पर
रगों में खून जैसे खौल 
कर आया।।

क्यों खामोशी ने किया नहीं कोलाहल
क्यों चिंगारी नहीं बन पाई शोला??

*फिर कर्तव्य पर हावी हुई हिंसा और मनमानी"
*मुझे तो लगता है जैसे हो गई हो लोकतंत्र को हानि*
हुआ अवरुद्ध कंठ,
जैसे अटक गया हो कोई गोला
क्यों नहीं फटा धरा का हिया,
क्यों नहीं अनंत गगन डोला??

क्यों कोई भी नहीं बन कर आया
गिरधारी,क्यों हुआ चीर हरण
और फटा किसी की अस्मत का चोला?????

*शिक्षा के माथ पर जब तक संस्कारों का तिलक नहीं सोहता*
*तब तक ऐसी घटनाओं का घटना रहता है होता*

*लोकतंत्र है घायल ऐसी घटनाओं से,
चिंगारी बन जाती है हौले हौले शोला*
*दंड का प्रावधान हो ऐसे गुनाह के लिए
युगों पहले चाणक्य ने था ये बोला*

*भले ही पूजा ना करो नारी की,
पर देना सीखो उसे सम्मान*
*वो जननी भी है,पालक भी है
छोटा शब्द है उसके लिए महान*
फिर कौन सा षडयंत्र कौन सी साजिश हो जाती है इतनी बलवान????
फिर कैसे घट जाती हैं ऐसी घटनाएं
क्या आपने अपना दिलोदिमाग है टटोला???
क्यों नहीं फटा धरा का हिया
क्यों नहीं अनंत गगन डोला????

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