ये परिवार *हमारा प्यार हिसार*
और परिचय क्या दूं इसका???????
*कर्म ही इनका है सच्चा श्रृंगार*
सार्थक हो जाती है मेरी लेखनी,
होता है विषय जब ये *परिवार*
*स्वच्छता,सौंदर्य,जागरूकता,
जिम्मेदारी* की पल पल चलती है बयार*
सौ बात की एक बात है
*ये सार्थक करने आते हैं इतवार*
*संकल्प से सिद्धि तक*
प्रयास दोहराते रहते हैं बारंबार
कभी नहीं थकते,कभी नहीं रुकते
चेतना हो जाती है जागृत हर बार
*कब आएगा रविवार कब आएगा रविवार*करते रहते हैं इंतजार
सही मायनो में अपने शहर के ये
*शिल्पकार*
*समाधान हेतु आगमन
संतुष्टि सहित प्रस्थान*
इसी भाव का होता यहां संचार
मुझे तो आता है समझ इतना
है, ये पाठशाला जहां
* शिक्षा संग पल्लवित होते हैं संस्कार*
उम्र, जाति,मजहब,लिंग भेद की कोई सरहद नहीं यहां पर,
बस एक ही लक्ष्य
*इंदौर जैसा बने हमारा प्यार हिसार*
*आप भी आओ हम भी आएं
सार्थक करने अपना इतवार*
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