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प्रेम ने जब पूछा करुणा से(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

प्रेम ने करुणा से,
करुणा ने मीठी बोली से,
मीठी बोली से संयम से,
संयम ने सहजता से,
सहजता ने विनम्रता से,
विनम्रता ने ज्ञान से,
ज्ञान ने सौंदर्य से,
सौंदर्य ने गरिमा से,
गरिमा ने शिक्षा से,
शिक्षा ने संस्कार से,
संस्कार ने जिज्ञासा से,
जिज्ञासा ने हिम्मत से,
हिम्मत ने कर्म से,
कर्म ने जिजीविषा से,
जिजीविषा ने कर्मठता से, 
कर्मठता ने ममता से,
ममता ने दिल से,
दिल ने दिमाग से,
दिमाग ने दोस्ती से,
दोस्ती ने नातों से,
नातों ने भगति से,
भगति ने शक्ति से,
शक्ति ने ओज से पूछा
"कहां रहते हो तुम सारे???
 सारे एक ही सुर में मिल कर बोले *मां जाई तेरे द्वारे*

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