आंखों ने कहा नीर से,ऐसा क्या है तेरा मेरा नाता?
उदास गर दिल होता है,मुझ में से राह बना कर झट से बाहर तुम आ जाते हो।
मैं तो खड़ी रहती हूं सोचती, और तुम झट से बह जाते हो।
कहा नीर ने,ओ मोरे नैना,जब भी आहत होता है मनवा, मैं भीतर नही रह पाता हूँ।
तोड़ बंदिशें तोरी नैना,मैं पल भर में बह जाता हूँ।।
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