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अभाव का प्रभाव( स्नेह प्रेमचंद द्वारा)

*अभाव का प्रभाव बताता है कोई जीवन में होता है कितना खास*

*जब भीड़ में भी हम होते हैं अकेले,धुआं धुआं सा मन,
अनमनी सी आस*

*लफ्जों का साथ नहीं देते फिर लहजे,झूठी मुस्कान का ओढ लिबास*

*रह रह कर याद आती है जैसे,
घर घुसते ही मां को न देख शिशु हो जाता है उदास*

*सब मिल कर भी एक की कमी नहीं पूरी कर पाते,
जिक्र और जेहन में ही नहीं,
स्मृतियों में आजीवन तेरा होगा वास*

*नयन सजल,अवरुद्ध कंठ
चेतना का जैसे हो गया ह्रास*

एक चबका और एक टीस है ऐसे
जैसे दिल में धड़कन,तन में श्वास

*यूं तो कहने को तो चल रही है जिंदगी
मगर तुझ बिन सच कुछ आता ही नहीं रास*

*अभाव का प्रभाव बताता है
कोई जीवन में होता है कितना खास*

प्रकृति में हरियाली सी,
पर्वों में दीवाली सी,
सावन में कोयल काली सी,
दुनिया की भीड़ में निराली सी,
जैसे किसी पहुपन में सुवास
और परिचय क्या दूं तेरा???
*हानि धरा की,लाभ गगन का*
तुझ बिन ऐसा होता है आभास

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