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संकल्प से सिद्धि तक(( विचार स्नेह प्रेमचंद सदस्य *हमारा प्यार हिसार* समूह))

*संकल्प से सिद्धि तक*
 छिपे होते हैं
जाने कितने ही *अगणित प्रयास*

प्रयास ही तो होते हैं वे 
*संजीवनी बूटी*
*जो बना देते हैं हमें
 अति अति खास*

*धरा पर संकल्प लिया,
गगन में कर डाला साकार*
*चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बना भारत,
 हो रही चहुं दिशा में जयजयकार*

*प्रतिभा को गर मिल जाएं अवसर  संसाधन और सहयोग*
*उपलब्धि खटखटा ही देगी द्वार आपका,सबसे बड़ा है कर्मयोग*

*कर्मयोगियों के कर्मों ने सच में
रच दिया इतिहास*
*बैलगाड़ी से चांद तक के सफर को
एक ही नाम देंगे *विकास*

*परिकल्पना,प्रतिबद्धता और प्रयास*
*इन तीनों से बनता है इंसा अति खास*

*चंद्र यान 3 की सफलता से बढ़ा है
जाने कितनों का विश्वाश*
*असफलता ही ले जाती है सफलता की ओर,बस बना रहे आत्म विश्वास*

*धीरज की नाव में चप्पू मेहनत के,
मांझी भरोसे का,सफलता फिर आ ही जाती है रास*
*माना हर सफर मंजिल की ओर जाए,ज़रूरी तो नहीं
पर मंजिल की ओर जाएगा कोई न कोई सफर ही, बहुत ज़रूरी है
*हो गया इस सत्य का आभास*


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