क्या क्या सीखें हम कान्हा से????
प्रेम,ज्ञान,राजनीति,न्यायप्रियता,
पथ प्रदर्शन और रिश्तेदारी
सब सिखाया है कान्हा चरित्र ने,
सीखने की है अब हमारी बारी
*सच्चा प्रेम क्या होता है,
ये कान्हा से सीखे हम*
*राधा कान्हा की प्रेम कहानी,
जितनी सोचो उतनी कम*
*अपना भाग्य आप बनाने की कला,ये भी कृष्ण ने सिखाया है*
*कर्म ही जीवन है*
तान को बड़े प्रेम से गाया है*
* कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन*
कर्म करो,पर फल की इच्छा न करो,गीता में कान्हा ने समझाया है*
*ज़रूरी कर्म को करना ही है,
इस धुन को नगमा बनाया है*
*प्रत्यक्ष नहीं तो परोक्ष लाभ होते हैं
हर कर्म के,किसी को आज
किसी को कल,पर समझ में अवश्य आया है*
*घने तमस में उजियारे से कान्हा* जग भर में लोगों ने अपना आदर्श बनाया है*
क्या महत्व है *संयम* का जीवन में,कान्हा ने बखूबी समझाया है
पहले अपशब्द पर ही सर काटने की शक्ति होने के बाद भी 99 बार अपशब्द सुनने का सामर्थ्य रख, अंत में बुराई शमन करने वाले कान्हा का जीवन चरित्र सबको भाया है
सुदर्शन और मुरली दोनों संग कान्हा ने जीवन बिताया है
कोमल और कठोर के सामंजस्य को दोनों संग समझाया है
*रिश्तों को कान्हा ने बड़ी सहजता से निभाया है*
कभी पुत्र, कभी मित्र,कभी सारथी,कभी गुरु,कभी राजा,कभी प्रेमी हर किरदार बखूबी निभाया है
हुई है जब जब हानि धर्म की,
सुदर्शन चक्र भी चलाया है
सजी रही मधुर बांसुरी लबों पर,
सिर पर मोर मुकुट सजाया है
निर्धन सुदामा के पोहे खा कर,
धनी निर्धन का भेद मिटाया है
द्वारका का वैभव होने पर भी
निर्धन मित्र को गले लगाया है।।
*विषम परिस्थितियों में भी ना छोड़ा सहजता और उल्लास का दामन,
ये कितना खास पाठ पढ़ाया है*
मृत्यु फन पर होने के बाद भी किया नृत्य,हर चुनौती का सामना करना सिखाया है।।
*अहंकार ना हो मन में किसी के,
ये सबसे अच्छा पाठ पढ़ाया है*
*सर्व सामर्थ्य होने पर भी बने सारथी* कितना निर्मल उनका साया है
*जन्मे कहीं पले कहीं बसे कहीं
पर सर्वत्र दिलों में अपना अक्स बसाया है*
*क्या क्या नहीं छूटा कान्हा से
पर कर्ण की भांति अपने भाग्य पर इल्जाम नहीं लगाया है*
*हर चुनौती का डट कर किया सामना,युगपुरुष होने का फर्ज निभाया है*
*मात पिता छूटे,बाल सखा छूटे,छूटी राधा प्यारी*
*हर बार बिखरे नहीं निखरते गए सांवरे,जाने ये कायनात है सारी*
*भाग्य से कर्म होता है बड़ा,
पूरे ब्रह्मांड को समझाया है*
*अधर्म और असत्य को कभी नहीं सहना,कंसवध,जयदर्थ वध,गीता ज्ञान से यही समझाया है*
*होती है जब जब हानि धर्म की,
बांसुरी वाले हाथों ने सुदर्शन चक्र भी चलाया है*
पूरा ही जीवन माधव का जाने क्या क्या सिखाता है!?
ये तो अब हम पर है निर्भर,
हमे क्या क्या सीखना आता है????
Comments
Post a Comment