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*चेहरे पर नूर,मन में क्रांति*(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा)

*चेहरे पर नूर,मन मे क्रांति,
सीने पर गोली,हाथों में थामे आज़ादी की मशाल*
*हंसते हंसते जान गंवा दी,
ऐसे थे मेरे भारत का लाल*
और अपरिच्य क्या दूं उनका????.
*अदभुत सोच,वजूद कमाल*

*कभी उऋण नही हो पाएंगे हम उनके कर्मों से,
कैसी अद्भुत कर दी कायम उन्होंने मिसाल*
*आने वाली पीढ़ियां भी याद रखेंगी
सही मायने में थे भारत मां के *नमक हलाल*

*मौत जहां पर जन्नत हो
यह बात वतन में है मेरे*
*इंकलाब की सुलगती हैं चिंगारी*
लिए आजादी संग ही फेरे*
*आजादी ही रही पहली और आखरी माशुका जिनकी*
*ऐसे हैं मां भारती के लाल*

*अपने खून की स्याही से लिख दिया आज़ादी का अमर इतिहास*
समय बदलेगा,पीढ़ी बदलेंगी,
पर वो रहेंगे सब के दिलों के पास*

*मर कर भी अमर हैं वे वीर बहादुर,
पूरे विश्व इतिहास में हैं वे छाए*
*दें श्रद्धांजलि उन वीरों को हम,
जो लौट के घर नही आए**
व्यक्ति नहीं विचार थे वे
जला दी थी बच्चे बच्चे के दिल में
आजादी की मशाल
जाने कितनी ही अगणित कहानियां होंगी आजादी की,
कैसा होगा उनके दिल का हाल??

*माना वक्त भुला देता है सब कुछ
पर भगत सिंह को भूलना है एक बहुत बड़ी भारी सी भूल*
*क्रांतिकारियों के खून से सींचा गया था जो पौधा,था भगत सिंह उसी पौधे का नायाब सा फूल*
उन की और उन जैसे फूलों की महक से आज भी वतन की महक है कमाल
*चेहरे पर नूर,मन में क्रांति,
हाथों में थामे आजादी की मशाल*
*हंसते हंसते जान गंवा दी
ऐसे थे मेरे भारत के लाल*
और परिचय क्या दूं उनका??
अदभुत सोच,कर्म कमाल
जो ठानी वो कर गए वतन के लिए
नहीं रहा मन में कोई मलाल

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