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समझो आजादी आ गई(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))


*जब मलिन मनों से ईर्ष्या,द्वेष,लोभ,अहंकार के सारे धुंध कुहासे हट जाएं,समझो आजादी आ गई*

*जब ज्ञान की अलख कुटिया से महलों तक हर द्वार लगे जलने,समझो आजादी आ गई*

*जब शिक्षा के भाल पर संस्कार का तिलक सोहने लगे,समझो आजादी आ गई*

*जब हैसियत और हसरतें एक ही मोड़ पर मिलें,समझो आजादी आ गई*

*जब किसी भी नारी को घर से बाहर जाते हुए कोई धड़का सा न लगे,जब सब निर्भय हों सब सुखी हों,समझो आजादी आ गई*

*जब प्रेम से पहले सम्मान का स्थान आए,समझो आजादी आ गई*

*जब बेटा बेटी को एक नजर और एक ही नजरिए से देखा जाने लगे,समझो आजादी आ गई*

*जब स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति आ जाए,समझो आजादी  आ गई*

*जब सही समय पर सही समझ का विकास हो जाए,मन पूर्वाग्रहों से ग्रस्त न हो,अंधी प्रतिस्पर्धा का बिगुल बजना बंद हो जाए समझो आजादी आ गई*

*जब संकल्प सिद्धि की पगडंडी पर निर्बाध गति से दौड़ने लगे,समझो आजादी आ गई*

*जब प्रतिभा को पहचान कर उसे प्रोत्साहन मिले,हर हुनर को पहचान मिले,कोई भी प्रतिभा किसी अभाव के प्रभाव में विलीन न हो,आर्थिक अभाव में हुनर ज़मीदोज न हों।।

*जब हम जिंदगी के आर्किटेक्चर खुद बन सकें,औरों के निर्णय हम पर थोपे ना जाएं,समझो आजादी आ गई*

*जब हम अपने मन पर विजय पा सकेंगे,जब सर्वजनहिताय सर्वजन सुखाय की भावना प्रबल होगी,जब अहम से वयम की बयार चलने लगेगी,

*जब सबको रोटी कपड़ा और मकान जैसी आधारभूत जरूरतें मयस्सर हो जाएंगी,जब बेबसी और मजबूरी किसी भी अपराध की जननी नहीं बनेगी,जब हर हरदय में करुणा की गंगा बहेगी,जब किसी जीव की निर्मम हत्या नहीं होगी,जब आधुनिकता के नाम पर संस्कारों को बलि पर नहीं
चढ़ाया जाएगा,समझ लेना आजादी आ गई।।

*जब आरोप,प्रत्यारोप,दोषारोपण को त्याग कर सहयोग और सौहार्द की शरण में व्यक्ति आएगा,समझो आजादी आ गई।।

*जब आपका पैशन आपका प्रोफेशन बन जाए,समझो आजादी आ गई*

*अति ताकतवर शब्द है आजादी
जो किसी भी व्यक्ति को अपने अधिकार और सोच अनुरूप कार्य करने की शक्ति देता है*

*जब सबल थाम ले हाथ निर्बल का,समझो आजादी आ गई।।
मेरी नजर में तो आजादी के यही मायने हैं आपकी?????

 

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