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निरस्त नहीं दुरुस्त

*किसी भी नाते को निरस्त नहीं,
झट से दुरुस्त करने वाली
 सच की ही डिप्लोमेट रही
 तूं मां जाई*

*संक्षिप्त,मधुर प्यारे से संबोधन,संवाद तेरे,
जैसे शादी में हो शहनाई*

*जाड़े की गुनगुनी धूप सी तूं,
रही आमों पर जैसे अमराई*
*तेरा साथ था इतना प्यारा
जैसे तन संग होती है परछाई*

*ना गिला ना शिकवा ना शिकायत कोई,
हर मर्ज की बनी दवाई*
*दिलों पर राज किया है तूने,
सच तूं सागर की गहराई*

*उम्र छोटी पर कर्म बड़े*
आज फिर तेरी याद आई
*दो बरस होने को हैं,
जब ली थी तूने जग से विदाई*

*लम्हे की खता बनी ना भूली जाने वाली दास्तान*
*बहुत छोटा शब्द है तेरे लिए महान*

 कितने भी हालात विषम हों
*हर रिश्ते में रही तेरे गरमाई*
*एक किसी के ना होने से
डसने लगती है तन्हाई*
हेजली सी थी,मासूम सी थी
*नातों में तुझे पसंद थी गहराई*

*चिराग ले कर भी खोजो तो
नहीं मिलेगी तुझ में कोई एक बुराई*
"जैसे भीतर से वैसी ही बाहर से
 कभी दिखाई नहीं कोई चतुराई*
*जैसी राम जी की मर्जी*
*कुछ भी पूछने पर तूने बस यही पंक्ति दोहराई*

*एक बात बहुत याद आती है तेरी मां जाई!
*कहती थी तूं ये सदा जग में, सबसे आसान है करना पढ़ाई*

*चाशनी सी मीठी रही सदा*
नहीं की कभी किसी से कोई लड़ाई
*यथासंभव की सदा तूने सबकी मां जाई भलाई*

*प्रेमसुता! तूं अपने प्रेम से हर उधड़े रिश्ते की करती रही तुरपाई*
*नाराज हुआ भी गर कोई तुझ से,
अपने स्नेह से ओ रंगरेजन!
कर दी तूने पक्की रंगाई*

*कभी नहीं रुकी,कभी नहीं थकी,
*अपनी पीड़ा की पाती कभी नहीं किसी को तूने सुनाई*
कर्म ही परिचय पत्र रहा तेरा
रोहतक से बर्लिन तक के सफर में कर्तव्य की राह अपनाई
रोहिल्लास और कुमार्स का गौरव तूं
ज्ञान अर्जित कर सफलता की अलख जलाई
**आज फिर तेरी याद आई**

*खुद मझधार में हो कर भी
साहिल का पता बताने वाली
इतना हौंसला कहां से लाई??
*तेरा नहीं ये तो सौभाग्य रहा मेरा,तूं थी मेरी मां जाई*

*ये धरा सा धीरज और उड़ान गगन सी बोल मेरी मां जाई तूं कहां से लाई???
*प्रेरणास्त्रोत रहेगी तूं तो आने वाली पीढ़ियों के लिए भी,
*संयम,साहस,करुणा,विनम्रता से की थी तूने प्रेम सगाई*

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