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सपने वे हैं जो हमें सोने नहीं देते(( स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

**सपने वो हैं जो हमे सोने नही देते*

स---पने हों ऊंचे,हों बुलंद इरादे,
कर्म की कावड़ में मेहनत का जल भरने वाले थे अब्दुल कलाम।।
जीवन लंबा भले ही ना हो,
पर कर जाएं हम बड़े बड़े काम।।
सुमन का सौरभ,भारत का गौरव
*सच में बहुत बड़ा है नाम*

प---नपे नई सोच का अद्भुत अंकुर हर दिलोदिमाग में,
हर जीवन फिर बन जायेआसान।।
*परिकल्पना,प्रतिबद्धता और प्रयास* की बहे त्रिवेणी पल पल,
हर वजूद को मिल जाएगी पहचान।।

ने--क थी नीयत, नेक थी सीरत,धीरज की बाँसुरी से कर्म की मनमोहक धुन बजाने वाले थे अब्दुल कलाम।।
विज्ञान से क्या क्या संभव है,
जाने कितनों को ही सिखा गए वैज्ञानिक महान।।
*ज्ञान गर लग जाए सकारात्मक दिशा में,हो कर ही रहता है फिर जनकल्याण*

वे---बहुत खास थे,एक मीठी आस थे,अनदेखी,अन खोजी राहों पर चलने हेतु प्रेरित करने वाले थे अब्दुल कलाम।।
*ज्ञान विकास का सागर है,अनंत,अथाह,अविराम*
*ज्ञान ही तन और रूह का सच्चा परिधान*

हैं---आज नही वो संग हमारे,पर अनमोल सीख तो उनकी सदा संग रहेगी।
था धरा पर कोई ऐसा मानव,आने वाली पीढ़ियां यकीन नहीं करेंगी

जो----देखो सपना,उसे पूरा करने की ठानो, आत्मा अब्दुल कलाम की आज भी यही कहेगी।
*सीमित ना करो अपनी सोच को किसी भी सरहद तक,
हर बाधा को कर्म की देवी हरेगी* 
कर्म की कूची से बदल सकता है भाग्य,उनकी विचारधारा युगों युगों तक रहेगी ।

ह---र  हालत में तुम सोचो सकारात्मक
*संकल्प से सिद्धि* तक के सफर में मानों ना कभी हार
*गीता ज्ञान* को अपने जीवन में उतारने वाले अब्दुल कलाम का *कर्म ही थे सच्चा श्रृंगार*

में---हनत की चम्मच से पीयो ज्ञान का प्याला,
व्यर्थ की कुंठाएं किसी भी हाल में मत पालो।
ज्ञान बढाता है आत्मविश्वास हमारा,
अज्ञान के कांटे को चित से निकालो।।

सो---ने सा सुंदर दिल था उनका,कुदरत की नायाब कृति थे अब्दुल कलाम।
कर्म के इस *महामानव* को तहे दिल से लाखों लाख सलाम।।

ने---की,विनम्रता,साहस,धीरज का अद्भुत सा पर्याय थे अब्दुल कलाम।
11 स्वर और 33 व्यंजनों में नहीं वह शक्ति,जो उनकी शख्शियत का कर पाएं गुणगान
*धन्य हुई धरा भारत की*
 जो लिया जन्म उन्होंने यहां,
न किया कभी हिंदू न मुसलमान
*व्यक्ति नहीं विचार हैं आप*
*एक नहीं सौ सौ सलाम*

न---कारात्मक नही हुए कभी भी विषम हालातों में,
कर्म की खड़ाऊं से सफलता के मार्ग पर चलने वाले थे अब्दुल कलाम।
*वैचारिक वैशिष्ट्य* था अति उत्तम कोटि का उनका,एक जिंदगी हजारों काम

ही---रा भी कोहेनूर थे वे,
परखने वाले जौहरी ही सकते हैं पहचान
और परिचय क्या दूं उनका???
पर्याय वाची से लगते हैं अब्दुल कलाम और विज्ञान

दे---ना ही देना सीखा जिन्होंने,बांटा कदम कदम पर ज्ञान
अतिशयोक्ति न होगा उन्हें कहना
*भारत ही नहीं विश्व की शान*
 सही मायने में कर दिखाया *सादा जीवन उच्च विचार*
मां भारती गर्वानवित हो आई अपने लाल पर,नहीं भूलेगा उन्हें ये पूरा संसार

ते---रा मेरा,काशी काबा कुछ नही मानते थे,उनकी *वसुधैव कुटुम्बकम* की सोच को दिल से सलाम।।
अंतिम श्वास तक बहाते रहे ज्ञान की गंगा,ऐसे थे हमारे मसीहा *अब्दुल कलाम*

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