आर्यवर्त का है अभिमान*
सरल,सहज,सुगम,बोधगम्य
भावों का सुंदर परिधान
और परिचय क्या दूं तेरा???
*तूं हीं राष्ट्र का गौरवगान*
*हिंदी माथे की है बिंदी*
विश्व पटल पर इसकी पहचान
11 स्वर और 33 व्यंजन इसके,
अगणित शब्दों का करते गुणगान
*एकता सूत्र में बांधे है हिंदी*
*जनकल्याण का करे आह्वान*
और अपरिचय क्या दूं तेरा???
*तूं हीं राष्ट्र का गौरव गान*
*जन-जन की भाषा है हिंदी*
*सागर से गहरी भाव प्रधान*
*तेरे अस्तित्व से ही तो हिंदी
चमक रहा है हिंदुस्तान*
*दिल पर दस्तक,जेहन में बसेरा
चित में इसके पक्के निशान*
और परिचय क्या दूं तेरा????
*तूं ही राष्ट्र का गौरवगान*
*हिंदी कविता की गहरी सरिता
हिंदी मनोभावों का सुंदर परिधान* *साहित्य का आदित्य है तूं,
आर्यावर्त का है अभियान*
और परिचय क्या दूं तेरा??
*तूं ही राष्ट्र का गौरव गान*
*सहज,मधुर,भावानुकूल है हिंदी* *अनुराग की मधुर परिपाटी है हिंदी*
*सहजता की सौंधी सी माटी है हिंदी*
*हृदय तल की गहराई है हिंदी*
*सत्यम शिवम सुंदरम की मधुराई है हिंदी*
*साहित्य जगत की अरुणिम आभा है हिंदी*
*दिल की निश्चल गंगोत्री से पावन गंगा सी बहती है हिंदी*
*काशी के घाट पर सुवासित सी लहरों की मधुर झंकार है हिंदी*
*तुलसी की रामायण हिंदी
हिंदी ही गीता का ज्ञान*
और परिचय क्या दूं तेरा???
*तूं ही राष्ट्र का गौरव गान*
*उच्चारण से आचरण तक
हिंदी तेरा नहीं कोई भी सानी*
*सरल,सरल,सहज,सुबोध तू
*सच में भाषाओं की महारानी*
*हृदय की भाषा है तू,
हर हिंदुस्तानी का स्वाभिमान
और परिचय क्या दूं तेरा??
*भावों का सुंदर परिधान*
*दिल की भाषा है तू हिंदी*
*तेरा अस्तित्व है अति विशाल*
*भाव सुनामी उर में तेरे
अभिव्यक्ति तुझ में बड़ी कमाल*
*हर भाव को कर आत्मसात
बनी तुम्हारी अलग पहचान*
*कालजई भाषा है हिंदी*
होता हमें इस पर अभिमान
और परिचय क्या दूं तेरा???
*तू ही राष्ट्र का गौरव गान*
* जैसे नयनों में होती ज्योति
माला में होते हैं मोती*
*जैसे सागर में होता है पानी
साहित्य में होती है कहानी*
* हिंदी तेरे अस्तित्व की
विश्व में है अमिट पहचान*
और परिचय क्या दूं तेरा???
*भावों का सुंदर परिधान*
*हिंदुस्तान में हम हिंदू ही
हिंदी का करते हैं अपमान*
क्यों थामें हम गैर की भाषा???
*हिंदी का करें आओ गौरव गान*
सोचते और महसूस करते हैं
जिस भाषा में,
उसी भाषा में करें अभिव्यक्ति प्रदान
और परिचय क्या दूं तेरा???
*तू ही राष्ट्र का गौरव गान*
*भक्ति भाव की परिभाषा है हिंदी* *हिंदुस्तान की रूह है हिंदी*
*उद्गारों की आशा हिंदी*
*सुमन में पराग हिंदी*
*संगीत में राग हिंदी*
*कान्हा के अधरो की मुरली हिंदी* *मानस में राम की मर्यादा हिंदी*
*माधव में गीता का ज्ञान हिंदी*
*पार्थ के धनुष का कौशल हिंदी* *आजादी का मधुर गान हिंदी*
*वतन में क्रांति का आह्वान हिंदी*
*गीत संगीत की रूह हिंदी*
*साहित्य का अभिमान हिंदी*
*सूर कबीर की वाणी हिंदी*
*प्रेम सागर का मंथन हिंदी*
*प्रेमचंद की स्वाभाविकता हिंदी*
*बच्चन की मधुशाला हिंदी*
*मनोविज्ञान का सच्चा ज्ञान है हिंदी
शब्दों,भावों का भंडार है हिंदी*
*दिल पर दस्तक, दिमाग में बसेरा जेहन में इसके पक्के निशान*
* हिंदी कविता की गहरी सरिता
हिंदी मनोभावों का सुंदर परिधान*
*फादर कामिल बुल्के* ने विदेशी होकर भी हिंदी की महता को जाना था
* इतना मान दिया था हिंदी को
इसे अपनी भाषा माना था*
फिर क्यों सो रहे हैं अब तक हम???
होगा कैसे जागने का प्रावधान
*जब जागो है तभी सवेरा
जाने हिंदी तो है जग को वरदान*
*हीन भावना ना लाएं कभी हमt5 मन में,
*करें हिंदी का गौरव गान*
*भाषा सरल है,भाव प्रबल है*बीएम
*जन-जन की हिंदी है जान*
अब तो आगे बढ़कर आए
*करें हिंदी का गौरव गान*
और परिचय क्या दूं तेरा????
तूं भावों का सुंदर परिधान
Comments
Post a Comment