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और परिचय क्या दूं तेरा????(( विचार स्नेह प्रेम चंद द्वारा))


*साहित्य का आदित्य है तूं
आर्यवर्त का है अभिमान*
सरल,सहज,सुगम,बोधगम्य
भावों का सुंदर परिधान
और परिचय क्या दूं तेरा???
*तूं हीं राष्ट्र का गौरवगान*

*हिंदी माथे की है बिंदी*
विश्व पटल पर इसकी पहचान
11 स्वर और 33 व्यंजन इसके,
अगणित शब्दों का करते गुणगान

*एकता सूत्र में बांधे है हिंदी*
*जनकल्याण का करे आह्वान*
और अपरिचय क्या दूं तेरा???
*तूं हीं राष्ट्र का गौरव गान*

*जन-जन की भाषा है हिंदी* 
*सागर से गहरी भाव प्रधान* 
*तेरे अस्तित्व से ही तो हिंदी 
चमक रहा है हिंदुस्तान*
*दिल पर दस्तक,जेहन में बसेरा
चित में इसके पक्के निशान*
और परिचय क्या दूं तेरा????
*तूं ही राष्ट्र का गौरवगान*

 *हिंदी कविता की गहरी सरिता
 हिंदी मनोभावों का सुंदर परिधान* *साहित्य का आदित्य है तूं,
 आर्यावर्त का है अभियान* 
और परिचय क्या दूं तेरा??
 *तूं ही राष्ट्र का गौरव गान*

*सहज,मधुर,भावानुकूल है हिंदी* *अनुराग की मधुर परिपाटी है हिंदी*
 *सहजता की सौंधी सी माटी है हिंदी*
*हृदय तल की गहराई है हिंदी* 
*सत्यम शिवम सुंदरम की मधुराई है हिंदी*

 *साहित्य जगत की अरुणिम आभा है हिंदी*

 *दिल की निश्चल गंगोत्री से पावन गंगा सी बहती है हिंदी*

 *काशी के घाट पर सुवासित सी लहरों की मधुर झंकार है हिंदी*

 *तुलसी की रामायण हिंदी
 हिंदी ही गीता का ज्ञान*
 और परिचय क्या दूं तेरा???
 *तूं ही राष्ट्र का गौरव गान* 

*उच्चारण से आचरण तक
 हिंदी तेरा नहीं कोई भी सानी*
 *सरल,सरल,सहज,सुबोध तू 
*सच में भाषाओं की महारानी*

 *हृदय की भाषा है तू,
हर हिंदुस्तानी का स्वाभिमान
 और परिचय क्या दूं तेरा??
 *भावों का सुंदर परिधान*

 *दिल की भाषा है तू हिंदी*
 *तेरा अस्तित्व है अति विशाल*
 *भाव सुनामी उर में तेरे 
अभिव्यक्ति तुझ में बड़ी कमाल*

 *हर भाव को कर आत्मसात 
बनी तुम्हारी अलग पहचान*
*कालजई भाषा है हिंदी*
होता हमें इस पर अभिमान
 और परिचय क्या दूं तेरा??? 
*तू ही राष्ट्र का गौरव गान*

* जैसे नयनों में होती ज्योति
माला में होते हैं मोती*
 *जैसे सागर में होता है पानी
 साहित्य में होती है कहानी*
* हिंदी तेरे अस्तित्व की
 विश्व में है अमिट पहचान* 
और परिचय क्या दूं तेरा???
 *भावों का सुंदर परिधान*

 *हिंदुस्तान में हम हिंदू ही
 हिंदी का करते हैं अपमान*
 क्यों थामें हम गैर की भाषा???
 *हिंदी का करें आओ गौरव गान*

 सोचते और महसूस करते हैं
 जिस भाषा में, 
उसी भाषा में करें अभिव्यक्ति प्रदान
 और परिचय क्या दूं तेरा???
 *तू ही राष्ट्र का गौरव गान* 

*भक्ति भाव की परिभाषा है हिंदी* *हिंदुस्तान की रूह है हिंदी*
 *उद्गारों की आशा हिंदी*
 *सुमन में पराग हिंदी* 
*संगीत में राग हिंदी* 
*कान्हा के अधरो की मुरली हिंदी* *मानस में राम की मर्यादा हिंदी* 
*माधव में गीता का ज्ञान हिंदी*
*पार्थ के धनुष का कौशल हिंदी* *आजादी का मधुर गान हिंदी* 
*वतन में क्रांति का आह्वान हिंदी* 
*गीत संगीत की रूह हिंदी*
 *साहित्य का अभिमान हिंदी*
 *सूर कबीर की वाणी हिंदी*
 *प्रेम सागर का मंथन हिंदी*
 *प्रेमचंद की स्वाभाविकता हिंदी*
 *बच्चन की मधुशाला हिंदी*

 *मनोविज्ञान का सच्चा ज्ञान है हिंदी 
शब्दों,भावों का भंडार है हिंदी*

 *दिल पर दस्तक, दिमाग में बसेरा जेहन में इसके पक्के निशान*
* हिंदी कविता की गहरी सरिता
 हिंदी मनोभावों का सुंदर परिधान*

*फादर कामिल बुल्के* ने विदेशी होकर भी हिंदी की महता को जाना था
* इतना मान दिया था हिंदी को
 इसे अपनी भाषा माना था*
 फिर क्यों सो रहे हैं अब तक हम??? 
होगा कैसे जागने का प्रावधान 

*जब जागो है तभी सवेरा 
जाने हिंदी तो है जग को वरदान*
 *हीन भावना ना लाएं कभी हमt5 मन में, 
*करें हिंदी का गौरव गान*
 *भाषा सरल है,भाव प्रबल है*बीएम
*जन-जन की हिंदी है जान*

 अब तो आगे बढ़कर आए 
*करें हिंदी का गौरव गान* 
और परिचय क्या दूं तेरा????
 तूं भावों का सुंदर परिधान


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