*संकल्प से सिद्धि तक के सफर में
सही सोच,अथक प्रयास,परिश्रम,
संघर्ष,प्रतिभा हैं शुमार*
*सपने वे होते हैं जो हमें सोने नहीं देते,
बस सपनों का हो बड़ा आकार*
*आज नहीं तो कल हो जाएंगे पूरे,
बस माने ना जीवन में हार*
उपरोक्त पंक्तियां भारत के चंद्रयान मिशन पर अक्षरश: लागू होती हैं।
अब्दुल कलाम की पंक्तियां भी सौ फीसदी सत्य हैं कि *सपने वे हैं जो हमेंसोने नहीं देते*
धरा पर संकल्प ले कर गगन में साकार करने की क्षमता हमारे भारत देश में निसंदेह है।पूरा विश्व अब मान भी गया है।असफलता भी सफलता की डगर है,इससे बिखरे नहीं निखरें हम,यही चंद्र यान मिशनों ने सिखाया है।।
*भारत का चंद्रयान मिशन १*
अटल इरादे वाले हमारे भूतपूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपई जी ने 2003 में चंद्रयान कार्य की घोषणा की थी।दूरगामी सोच वाले अटल जी ने *सोच कर्म परिणाम* की ऐसी निर्बाध त्रिवेणी बहाई जिसने संकल्प को सिद्धि की राह दिखा दी।नवंबर 2003 में भारत सरकार ने पहली बार भारतीय मून मिशन के लिए इसरो के चंद्र यान 1 को मंजूरी दे दी थी।
5 साल बाद भारत ने 22 अक्टूबर 2008 को श्री हरिकोटा के *सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र*से चंद्रयान मिशन लॉन्च किया। उस समय तक अमेरिका, रूस,यूरोप और जापान ही चांद पर मिशन भेजने में कामयाब हुए थे।भारत का स्थान 5वें स्थान पर रहा।
14नवंबर 2008 को चंद्रयान1दक्षिण ध्रुव के पास दुर्घटना ग्रस्त हो गया था।माना अपने मिशन में हम कामयाब नहीं हो सके,पर असफलता भी अपने आंचल में अनेक अनुभवों को समेटे हुए होती है जो भविष्य में सफलता का कारण बनती है।।
चंद्रयान 1 ने चांद की सतह पर पानी के अणुओं की पुष्टि कर दी थी।
28 अगस्त 2009 को इसरो के अनुसार चंद्रयान 1 के कार्यक्रम की समाप्ति कर दी गई थी।
यह एक आरंभ था,मिशन भले ही सफल ना हुआ हो,पर मनोबल अभी भी प्रबल था। इसरो के वैज्ञानिक एक बार फिर चांद पर तिरंगा फहराने का
मन बना चुके थे।।
*संकल्प से सिद्धि तक छिपे होते हैं जाने कितने ही प्रयास
कई बार ज़रूरी नही संकल्प खटखटा दे द्वार सिद्धि का,
पर यत्न सदा होता है खास*
आज नहीं तो कल मिल ही जाती है सफलता,बस असफलताओं से सीखने का गुर हो हमारे पास
किसी ने सही कहा है
हर सफर मंजिल की ओर जाए ज़रूरी तो नहीं,पर मंजिल की ओर जाएगा कोई न कोई सफर ही
इसी अवधारणा को मन में धारण कर चंद्र यान 2 का मिशन आरंभ हुआ।।
*चंद्रयान मिशन2*
इसरो का यह अत्यधिक जटिल मिशन रहा।पिछले मिशन की अपेक्षा अति महत्वपूर्ण,तकनीकी छलांग का प्रतिनिधित्व करता हुआ,एक बहुत बड़ा सपना बहुत अधिक प्रयास और पूरी उम्मीदों के साथ 20 अगस्त 2019 को चंद्रयान 2 को सफलतापूर्वक चंद्र कक्षा में स्थापित किया गया। इसमें चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव का पता लगाने के लिए एक आर्बिटर,लैंडर और रोवर शामिल थे।
इस मिशन का उद्देश्य था भूकंप विज्ञान,खनिज पदार्थों की पहचान और वितरण,सतह रासायनिक रचना को जानना,वहां की मिट्टी की थर्मो
भौतिक विशेषताओं को जानना और चांद के वातावरण की सरंचना का विस्तृत अध्ययन करना।।
100 किमी चंद्र ध्रुवीय कक्षा में चंद्रमा की परिक्रमा करते हुए 2 सितंबर 2019 को विक्रम लैंडर को लैंडिंग की तयारी में आर्बिटर से अलग कर दिया गया था।विक्रम लैंडर का उतरना योजनानुसार था।सामान्य प्रदर्शन 2.1 किमी की ऊंचाई तक देखा गया।
दुर्भाग्यवश इसके बाद लैंडर से ग्राउंड स्टेशनों का संचार टूट गया था।।
संचार ही नहीं टूटा था,एक बार तो मनोबल भी डगमगा गया था।
पर गिरना,गिर कर उठना,फिर संभालना,फिर से चलना शायद भारत की माटी के कण कण में है।।
बच्चन जी की पंक्तियां जैसे इसरो के वैज्ञानिकों का फिर से हौंसला बढ़ा गई
*कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती*
इसी मुख्य भाव की कोख में चंद्र यान मिशन 3 का जन्म हुआ
एक बार फिर असफलता से सीख आगे बढ़ चले वैज्ञानिक हमारे
**चंद्रयान मिशन 3**
चांद पर चंद्रयान,सच में एक महाअभियान
चंदा मामा दूर नहीं अब मां धरा से,
सच में हमारा वतन महान
मां धरा ने भी मनाया इस बार पर्व राखी का,
धन्य वैज्ञानिक इसरो के
और धन्य विज्ञान
चंद्रयान 3 का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक रूप से रोचक क्षेत्र की खोज करना,चंद्रमा पर संभावित पानी,बर्फ और संसाधनों के लिए उसके दक्षिणी ध्रुव के पास " स्थाई रूप से छुआ वाले क्षेत्रों" की जांच करना है।।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी *इसरो* ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपने उपग्रह चंद्रयान 3 को 23अगस्त 2023 की सफल लांचिंग कर सच में इतिहास रच दिया है।।
इस मिशन के तहत एक लैंडर एक रोवर को चांद की जमीन पर उतारा गया है जिन्हें ना दिया गया *विक्रम और प्रज्ञान*
विक्रम और प्रज्ञान को अलग अलग 6 उपकरणों से लैस किया गया जिनका काम चांद पर अलग अलग प्रकार की जानकारी जुटाना है और वे सफल भी हुए हैं।।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन अपने चंद्र यान मिशन के साथ दुनिया के अग्रणीय देशों में से एक है।
14जुलाई 2023 को दोपहर 2.35 चंद्र यान 3 की लॉन्चिंग हुई।
तीनों मून मिशन को पूरा करने में इसरो के 16000 वैज्ञानिकों ने दिन रात अथक प्रयास किया।।
चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला मिशन बन चंद्रयान 3 ने सबको हैरान कर दिया है।।
इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सुरक्षित और सहज लैंडिंग,रोवर गतिशीलता और वैगयनिक प्रयोगों का प्रदर्शन करना है।।
*चांद के दक्षिण ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश है भारत हमारा
चांद हमारी मुट्ठी में है अब,मेरा वतन है सबसे न्यारा*
चंद्र यान 3 मिशन की उपलब्धि से नए भारत का सूर्योदय हुआ है।इस गौरवशाली यात्रा पर हमे गर्व है।
यह उपलब्धि मील का पत्थर साबित हुई है।।
चंद्र यान 3 में भविष्य की समस्याओं का पूर्व अनुमान लगाने और उनका समाधान करने के लिए चंद्र यान 2 मिशन से सीखे गए सबक से " विफलता आधारित"डिजाइन रणनीति का प्रयोग किया गया।महत्वपूर्ण परिवर्तनों में लैंडर के पैरों को मजबूत करना,ईंधन भंडार बढ़ाना,और लैंडिंग साइट के लचीलेपन को बढ़ाना था।।
प्रज्ञान रोवर लैंडिंग स्थल के चारों ओर 500 मीटर दायरे में घूमा,परीक्षण किया और लैंडर को डेटा छवियां भेजी और ये छवियां पृथ्वी पर भी आई।।
सच में
*बैलगाड़ी से चांद तक का सफर ही ऐसा जैसा सच छू ली अंतरिक्ष में जैसे ऊंचाई*
*भारत की धाक जमी जग में,
दुनिया में भरोसे की कर ली कमाई।।
मुश्किलों के महासागर को पार कर हमने अभूतपूर्व उपलब्धि पाई है।।
नई ऊर्जा,चेतना,विश्वाश,उड़ान ने जैसे खुशियों की लौ जगाई है।।हमारा यह शून्य से शिखर तक का सफर दुनिया याद रखेगी।।मन आह्लादित और तन प्रफुल्लित है।*एक धरा,एक परिवार,एक भविष्य* इस मूलमंत्र को जैसे इसरो के वैज्ञानिकों ने संकल्प से सिद्धि तक पहुंचा दिया है।।
चंद्र यान मिशन 1 से 3 तक बहुत कुछ सीखा भी है पाया भी है।।
स्नेह धवन
शाखा कार्यालय हिसार 1
दूरभाष 7988821974
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