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कोमल हो कमजोर नहीं(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*कोमल हो कमजोर नहीं*
इस सत्य को लो भली भांति जान

*हौंसले बुलंद हों,लक्ष्य सधा हो*
फिर मुट्ठी में होता है जहान 

*आकर्षणों के बादल निश्चित ही
चारों ओर छाएंगे घनेरे*
*सही चयन लाता है उजियारा,
गलत लाता है जीवन में अंधेरे*

कभी ना लांघना लक्ष्मण रेखा
वरना जीवन में मच जाएगा घमासान
सीखना मर्यादा रघुनंदन से,
माधव से सीखना गीता का ज्ञान
शबरी से सीखना धीरज धरना
राधा से सीखना प्रेम की आन
लक्ष्मीबाई से सीखना योद्धा बनना
करना सद्गुणों का आह्वान

*दिल दिमाग का रहे ताल मेल सदा
फिर हर समस्या का मिल जाएगा समाधान*
*कोमल हो कमजोर नहीं,
इस सत्य को लो भली भांति जान*



*आजादी का मतलब कभी नहीं होता
करें हम अपनी मनमानी*
*चरित्र हमारा नेक पाक हो,
फिर बहुत कुछ देती है जिंदगानी*

*कर्म ऐसे हों जो सोच कर करें
ऐसा ना हो कर्म करने के बाद अधिक ही सोचना पड़े, बने ना कभी हम नादान*
*समस्या हैं जीवन में तो हैं संग में समाधान*

Comments

  1. आपकी प्रत्येक रचना मुझे एक अलग ही दुनिया में ले जाती है ...मानो...किसी अलग ही आनंदित वातावरण में..जो अनेक भावो से भरा हो जो प्रकृति के प्रत्येक हिस्से को दर्शाता हो... हर रचना की तरह आपकी ये रचना भी एक उत्कृष्ट कृति है 😊

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