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सेवानिवृति के बाद की जिंदगी भी बहुत खास है( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*माना जीवन का स्वर्ण काल हम कार्यक्षेत्र में बिताते हैं,
पर शेष बचा जीवन भी होता है *हीरक काल*
ये से क्यों भूल जाते हैं?????

बहुत बड़ा और शीतल होता है साया बड़ों का,
उनके साए तले हम कितने सुरक्षित हो जाते हैं।।

*चलती फिरती अनुभवों की किताब होते हैं सीनियर्स हमारे*
*इनके अनुभव हमें कितना कुछ 
सिखाते हैं*

*कुछ नहीं चाहिए बदले में इन्हें,
बस मीठे बोल हमारे इन्हे खुश कर जाते हैं*

*बहुत बड़ा हिस्सा जीवन का ये निगम के प्रांगण में बिताते हैं*

*हैं पूरे सम्मान और प्रेम के ये अधिकारी,
इनके नक्श ए कदम पर चल हम बहुत कुछ सीखे जाते हैं।।

इनके सानिध्य से तो सहरा में गुलिस्तान बन जाते हैं
हरे हो जाते हैं रेगिस्तान भी,
जब ये किसी उत्सव का हिस्सा बन जाते हैं।।

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