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वही मित्र हैं(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

 राघव ने सुग्रीव से,
माधव ने सुदामा से सच्ची मित्रता निभाई
जब जब हुआ जिक्र दोस्ती का,
दोनों की दिल से याद आई 

*कह सकें हम जिनसे बात दिल की,वही मित्र हैं*

स्नेह,सम्मान और स्थान जिन्हें देना आए,वही मित्र हैं

*खामोशी की जो समझ लें जुबान,
वही मित्र हैं*

*हमारी जगह जो खुद को रख कर सोच सकें,वही मित्र हैं*

*हर धूप छांव में जो संग खड़े हों,
वही मित्र हैं*

*जो हर राज़ का हो राजदार वही मित्र है*

*स्नेह,सम्मान और स्पेस जिन्हें एक दूजे को देना आए,वही मित्र हैं*

*मतभेद बेशक हो जाए पर मनभेद ना हो,वही मित्र हैं*

*निरस्त न करके जो दुरुस्त कर दें,
वही मित्र हैं* 

*सलाह,सुलह,समर्पण की नींव पर बसा हो जो रिश्ता,वही मित्र हैं*

*संवाद और संबोधन हो मधुर जिनका,वही मित्र हैं*

*मजाक और कटाक्ष के मध्य की महीन रेखा का जो ध्यान रखें,
वही मित्र हैं*

*बिन किसी पूर्वाग्रह के जो किसी भी मसले पर निष्पक्ष राय रखें,
वही मित्र हैं*

*गलत को गलत और सही को जो सही कह सकें वही मित्र हैं*

*हमारे गलत और बहकते कदमों को जो रोक सकें, सही राह पर ले जाएं,वही मित्र हैं*

*विकारों का शमन और सद्गुणों का जो कर दें विकास,वही मित्र हैं*

*जीवन के अग्निपथ को जो सहज पथ बना दें,वही मित्र हैं*

*जिन्हें देख मन के रेगिस्तान हरे हो जाएं,वही मित्र हैं*

*छोड़ने की बजाय जो जोड़ने में विश्वाश रखें,वही मित्र हैं*

*संग जिनके मन आह्लादित और तन प्रफुल्लित हो जाए,वही मित्र हैं*

*खुल कर हंसी और खुल कर रोना आए संग जिनके,वही मित्र हैं*

*हमसे हमारी खूबियां और खामियों दोनों पर ही जो खुलकर बात कर सके, वही मित्र हैं*
 
*सही समय पर जो सही राय दें 
वही मित्र हैं* 

*उलझे उलझे से धागों को सुलझाने में जो पहल करें वही मित्र हैं*

 *हमारी बेचैनियों और हमारे सुकून से जो वाकिफ हों, वही मित्र हैं*

*हर धुंधला मंजर हो जाए साफ संग जिनके,वही मित्र हैं*

 *खुद मझधार में होकर भी जो साहिल का पता बताते हैं, 
वही मित्र हैं* 

*हर विकार का हो जाए शमन संग जिनके, वही मित्र हैं*

 *छिपा हुआ सद्गुण सतह पर जो ले आए, वही मित्र हैं*

 *मैं हूं ना*कहने में जो पल भर भी न लगाएं, वही मित्र हैं*

 *कथनी और करनी में जिनके अंतर ना हो, वही मित्र हैं*

*हर घाव का जो बन सके मरहम 
वही मित्र हैं*

 *जिंदगी के इम्तिहान में जो ग्रेस मार्क्स बनकर आते हैं, वही मित्र हैं*

* हर जख्म का जो बन जाए मरहम वही मित्र हैं*

* टूटे आत्मविश्वास की जो बन जाए बैसाखी,वही मित्र हैं*

 *हमें हमारी खूबियां और 
खामियों दोनों संग जो अपना लें,
वही मित्र हैं* 

*हमारे भीतर छिपी अथाह संभावनाओं को टटोलकर जो हमारे गुणों को पहचान ले, 
वही मित्र हैं* 

*हमारी प्रतिभा को पहचान दिलवाने में जो प्रयास करे, वही मित्र हैं*

 *हमारी जिंदगी की किताब के हर हर्फ को जो पढ़ सके,वही मित्र हैं* 

*सकारात्मक ऊर्जा,उल्लास,खुशी का अनुभव हो संग जिनके, वही मित्र हैं*

 *परवाह, प्रेम, विनम्रता की त्रिवेणी बहती हो संग जिनके, वही मित्र हैं*

*जिक्र और जेहन दोनों में जिन्हें करना आता हो बसेरा,वही मित्र हैं*

*हर सुख दुख में जो वन काल away हों,वही मित्र हैं*

*जिनके संग समय का पता ही ना चले,वही मित्र हैं*

*तपते सहरा में जो बरखा की बहार से हों,वही मित्र हैं*

*किसी भी अभाव का जिन पर प्रभाव न हो,वही मित्र हैं*

*कोई भी परिवर्तन जिनका मन न बदल सके,वही मित्र हैं*

*हमारी उपलब्धि जिन्हें अपनी उपलब्धि लगे,वही मित्र हैं*

*लंबे अंतराल और संवादहीनता की धूलि भी जिस नाते को धूमिल न कर पाए,वही मित्र है*

*बार बार ठुकराए जाने पर भी जो दिलों की चौखटों पर दस्तक देना ना भूलें,वही मित्र हैं*

*जीवन के किसी भी चक्रव्यूह से जो बाहर लाने का प्रयास करे,
वही मित्र हैं*

 मैने पूछा मित्रता से रहती हो कहां???
हौले से मुस्कुरा दी मित्रता और बोली
*जहां कष्ट न हो,जहां क्लेश न हो,
मन मलिन न हो, राहें जटिल न हों
कोई विकार न हो,बस प्यार ही हो
वहां मैं बड़े प्रेम से आजीवन रहती हूं
*मुझ से प्यारा नहीं कोई नाता,
मैं बड़े प्रेम से कहती हूं*



Comments

  1. मित्र की एक दम बढ़िया एवं विस्तृत व्याख्या👌🏻👌🏻

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