आज वो फिर से याद आयी,
माँ की दीवाली पर मन से की गयी बेहतरीन सफाई,
वो ईंटों के फर्श को बोरियों से रगड़ रगड़ कर कर देना लाल,
वो पूरे घर को पाइप से धोना,माँ सच में थी तू बड़ी कमाल,
वो काम खत्म कर माँ संग तेरे जो जाना होता था बाजार,
अब रोज़ बाज़ारों में जा कर भी नही मिलती ख़ुशी वो,तेरी कर्मठता हर शै को कर देती थी गुलज़ार,
वो खील पताशे आज के छप्पन भोगों से भी होते थे माँ लज़ीज़,
वो आलू गोभी की सब्जी संग माखन के ,तृप्ति होती थी कितनी अज़ीज़,
माँ सच में तेरी प्यार की दस्तक से खिल सी जाती थी दिल की दहलीज,
जोश,उत्साह,तरंग से भरपूर जीवन का माँ तूने विषम परिस्थितियों में भी क्र दिया शंखनाद,
शायद ही कोई शाम होगी ऐसी,जब आयी न होगी तेरी याद,
ज़िन्दगी के सफर में तेरे साथ ने प्यारा सा एक साथ निभाया,
तुझे कह लेते थे मन की पाती, ये बाकि जहाँ तो लगता है पराया,
तू कितनी अपनी सी थी,
तू कितनी सच्ची सी थी,
आज ये एहसास और जा रहा है गहराया,
तू जहां रहे,मिले शांति तेरी दिवंगत आत्मा को,दीवाली के इस पावन पर्व पर दिल ने दोहराया
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