शोक को श्लोक कर देने की दैविक कला के प्रणेता महान कवि ऋषि वाल्मीकि जयंती की सबको बधाई
जनक सुता जानकी के प्रतिपालक,
बखूबी जानते थे पीर पराई
पिता की भांति स्नेह दिया जानकी को,कितनी भी कर लो,कम है बढ़ाई
विश्व के महानतम ग्रंथ से कायनात को अलंकृत करने वाले,जग के प्रथन कवि
की रचना ने सर्वत्र ज्ञान की गंगा बहाई
अमर है उनकी कृति रामायण,
रिश्तों की मर्यादा बतलाई
मर्यादा पुरषोत्तम के पुत्रों को दी ऐसी शिक्षा,संग संस्कारों की अलख जलाई
श्री राम के परम भगत,महान संत ने
रामायण के जरिए जन जन को राम कथा समझाई
जानकी को आश्रय दिया गर्भावस्था में,अभिभावक की रीत निभाई
महान ऋषि वाल्मीकि जी की आज जयंती पर सबको बधाई
साधक आज के रोज करते हैं दान पुण्य,रामायण मंत्रों और श्लोकों की धुन देती है सुनाई
शरद पूर्णिमा के पावन दिन वाल्मीकि जयंती है आई
जैसे घने अंधेरे में किसी ने ज्ञान की पावन गंगा हो बहाई
धन्य हुई धरा भारत की जहां जन्में ऋषि वाल्मीकि,राम भगति से कायनात सुंदर हो आई
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ReplyDeleteआपकी इस कविता में भी आपकी प्रत्येक कृति की तरह बहुत कुछ जानने को मिला है ...एक अत्यंत सुंदर रचना 😊.... भगवान करे कविता लिखने की ये कीर्ति यूं ही हमेशा बरकरार रहे 🌹
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