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वो मेरे साथ थी जब तक(( थॉट सुमन प्रेमचंद))

वो मेरे साथ साथ थी जब तक 
ख़ुशबूओं का सफ़र रहा तब तक 

वो चली तो गई मगर 
मुझसे बिछड़ीं कहाँ है वो अब तक 

वो पहली बारिश के बाद माटी की महक सी महकती रही  आज तक
वो महक आज भी वजूद में गहरे तक है समाई

सच किस माटी से बनी थी वो मां जाई???

वो धड़धड़ाती ट्रेन सी कब जिंदगी की पटडियो से ओझल हो गई,
वो थरथराते पुल सा वजूद मेरा खोजी नजरों से आज भी निहार रहा है राहें उसकी अब तक

वो खुद मझधार में हो कर भी सबको साहिल का पता बताती रही
वो जिंदगी से लड़ती रही, कभी थकी नहीं,चलती रही ऐसे  जैसे कोई बच्चा स्कूल जाता हो रोज

वो छोटी सी जिंदगी में कर्म बड़े बड़े करती रही,आज भी चेतना में जैसे किसी शंखनाद की ध्वनि सी गूंजती रहती है,वो जा कर भी नहीं गई,यहीं कहीं  आस पास है तेरे मेरे


I don’t want to know that you are not there in this world in physical form . I want to believe that you are always by side and will always be by my side in every family photograph. I want to smile while looking at your divine smiling face . 
तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है 
जहां भी जाऊँ तो तेरी कमी सी है …

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