Skip to main content

नानक शिक्षा का सुंदर सार(( संग्रह स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

महान संत कवि,समाज सुधारक,करुणा भंडार

बेदी कुल के चिराग,सिख धर्म के प्रवर्तक,ईश्वर स्वरूप नानक के हृदय में था सब के लिए बस प्यार ही प्यार

ननकाना साहिब की  धरा पर 
जन्मे थे ये *अवतार*
बहुत प्रेम करती थी बहन नानकी,
 माँ तृप्ता की गोद का नानक श्रृंगार

*नानक के सरल सीधे उपदेशों को आओ जीवन मे लें हम उतार*

*सब सुखी रहें,और रहें प्रेम से,
प्रेम ही हर रिश्ते का आधार*

सर्वत्र विद्यमान है ईश्वर,सबका एक पिता,
हम सब एक पिता की ही हैं संतान
जब सब अपने,हम सब के,
फिर क्यों न हो प्रेम का आदान प्रदान?????

*खुद की मेहनत से,सही तरीकों से,धनोपार्जन करना भाई
ये बात नानक जी ने,
जाने कितनी बार दोहराई*

*कभी किसी का हक न मारो
जाने कितने गुणा  उतारना पड़ेगा उधार
जितना आपके हक में आता है,
रहो संतुष्ट उतने में,ना पालो चित में कोई विकार*

*धन की या कोई और ज़रूरत हो,सदा ही यथासंव औरों की मदद करना
देने वाले का हाथ रहता सदा ऊपर,कोशिश कर दूसरों की झोली भरना*

*अपनी कमाई के दसवें हिस्से से सदा ही करते रहो परोपकार
अपने समय के दसवें हिस्से को भजन,कीर्तन पर देना वार*

*हृदय में नहीं, माया को सदा ही देना जेब मे स्थान
माया ज़रूरत है,पर सब कुछ नही,इसके असली स्वरूप को लेना पहचान*

*नारी का सदा करो आदर,ये नानक जी ने सिखाया है
होती है जहां नारी की पूजा,वो स्थान देवताओं को भी भाया है*

*जो कर्म करें  हम जीवन मे,
चिंता मुक्त हो कर कर्मकरें 
कर्म करने में आएगा फिर परमानंद,औरों के कष्टों को हरे*

*अपने विकारों को पर पाओ विजय,जीतने से पहले संसार।
मैं पन को अपनी मार दो,व्यर्थ है करना अहंकार*

*विनम्रता और सेवा भाव को जीवन का आधार बनाना*
*अहंकार से दूर ही रहना,बस मन मे करुणा और प्रेम बसाना*

*नानक दुखिया सब संसार
सत्य कह गए तारणहार*

*यही नानक जी की शिक्षा है,हैं उनके यही उपदेश
सर्वे भवन्तु सुखिनः के भाव को अपनाओ,चाहे देस हो या फिर विदेश*

Comments

Popular posts from this blog

वही मित्र है((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कह सकें हम जिनसे बातें दिल की, वही मित्र है। जो हमारे गुण और अवगुण दोनों से ही परिचित होते हैं, वही मित्र हैं। जहां औपचारिकता की कोई जरूरत नहीं होती,वहां मित्र हैं।। जाति, धर्म, रंगभेद, प्रांत, शहर,देश,आयु,हर सरहद से जो पार खड़े हैं वही मित्र हैं।। *कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार* यही होता है सच्ची मित्रता का आधार।। मान है मित्रता,और है मनुहार। स्नेह है मित्रता,और है सच्चा दुलार। नाता नहीं बेशक ये खून का, पर है मित्रता अपनेपन का सार।। छोटी छोटी बातों का मित्र कभी बुरा नहीं मानते। क्योंकि कैसा है मित्र उनका, ये बखूबी हैं जानते।। मित्रता जरूरी नहीं एक जैसे व्यक्तित्व के लोगों में ही हो, कान्हा और सुदामा की मित्रता इसका सटीक उदाहरण है। राम और सुग्रीव की मित्रता भी विचारणीय है।। हर भाव जिससे हम साझा कर सकें और मन यह ना सोचें कि यह बताने से मित्र क्या सोचेगा?? वही मित्र है।। बाज़ औकात, मित्र हमारे भविष्य के बारे में भी हम से बेहतर जान लेते हैं। सबसे पहली मित्र,सबसे प्यारी मित्र मां होती है,किसी भी सच्चे और गहरे नाते की पहली शर्त मित्र होना है।। मित्र मजाक ज़रूर करते हैं,परंतु कटाक...

बुआ भतीजी

सकल पदार्थ हैं जग माहि, करमहीन नर पावत माहि।।,(thought by Sneh premchand)

सकल पदारथ हैं जग मांहि,कर्महीन नर पावत नाहि।। स--ब कुछ है इस जग में,कर्मों के चश्मे से कर लो दीदार। क--ल कभी नही आता जीवन में, आज अभी से कर्म करना करो स्वीकार। ल--गता सबको अच्छा इस जग में करना आराम है। प--र क्या मिलता है कर्महीनता से,अकर्मण्यता एक झूठा विश्राम है। दा--ता देना हमको ऐसी शक्ति, र--म जाए कर्म नस नस मे हमारी,हों हमको हिम्मत के दीदार। थ-कें न कभी,रुके न कभी,हो दाता के शुक्रगुजार। हैं--बुलंद हौंसले,फिर क्या डरना किसी भी आंधी से, ज--नम नही होता ज़िन्दगी में बार बार। ग--रिमा बनी रहती है कर्मठ लोगों की, मा--नासिक बल कर देता है उद्धार। हि--माल्य सी ताकत होती है कर्मठ लोगों में, क--भी हार के नहीं होते हैं दीदार। र--ब भी देता है साथ सदा उन लोगों का, म--रुधर में शीतल जल की आ जाती है फुहार। ही--न भावना नही रहती कर्मठ लोगों में, न--हीं असफलता के उन्हें होते दीदार। न--र,नारी लगते हैं सुंदर श्रम की चादर ओढ़े, र--हमत खुदा की सदैव उनको मिलती है उनको उपहार। पा--लेता है मंज़िल कर्म का राही, व--श में हो जाता है उसके संसार। त--प,तप सोना बनता है ज्यूँ कुंदन, ना--द कर्म के से गुंजित होता है मधुर व...