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मेरे चित को मिलता है चैन((स्तुति स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

मेरे चित को मिलता है चैन,
जपता हूं जब श्री राम
आओ तुम भी जप लो ना,
जाने कब आ जाए शाम
जाने आ जाए शाम
 जाने कब आ जाए शाम

जब राह ना आए नजर
दिखलाते हैं राम
मैने नाम जो उनका लिया
मेरे हो गए सारे काम
मेरे हो गए सारे काम
मेरे चित को मिलता है चैन
जपता हूं जब श्री राम

जैसे राधा चित में शाम
बजरंगी चित में राम
वन जाते मेरे रमा
आज्ञा निभाते मेरे राम
सरयू तट पर मेरे राम
उद्धार अहिल्या का करते राम
सीता रक्षक जय सिया राम
शक्ति के पर्त्याय हैं राम
सत्य धर्म के रक्षक राम
करुणासिंधु प्यारे राम
मित्रता निभाते जय श्री राम
लंका पर विजय पाते राम
लौट अवध फिर आते राम
रघुपति राघव राजा राम
रोम रोम में बसे हैं राम
मेरे चित को मिलता है चीन
जपता हूं जब श्री राम
आओ तुम भी जप लो ना
जाने कब आ जाए शाम





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