मेरे चित को मिलता है चैन,
जब करती हूं तेरा गुणगान
जो सत्य है उसे ही तो
भावों का पहनाती हूं परिधान
आने वाली पीढ़ियों के लिए
अनुकरणीय रहेंगे तेरे कदमों के निशान
*उम्र छोटी पर कर्म बड़े*
मिला मुस्कान का तुझे वरदान
खुद मझधार में होकर भी साहिल का पता बताने वाली
कोहेनूर सी मां जाई मेरी
रहे ना कोई तेरे व्यक्तित्व से अंजान
ये नैतिक दायित्व है मेरी लेखनी का खंड खंड शब्दों को एक किताब का पहना दूं परिधान
मां सरस्वती करना कृपा मुझ पर,एहसासों को दे सकूं जुबान
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