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परिणय की मंगल बेला पर(( दुआ स्नेह प्रेमचंद द्वारा))


*परिणय की मंगल बेला पर
कर लेना हमारी दुआएं स्वीकार*

*एक नए अध्याय के आरंभ
का प्रारंभ हुआ है आज, 
दें खुशियां सदा दस्तक आप के द्वार*
 
*मन मलिन न हों, 
राहें जटिल ना हों
न हो चित में कोई द्वेष,
ईर्ष्या और अहंकार*

*कुछ करना दरगुजर,
कुछ करना दरकिनार*

*यही मूलमंत्र है 
सुखद दांपत्य जीवन का,
प्रेम ही इस नाते का आधार*

*खून का नहीं है ये नाता विश्वाश,समझ,समर्पण और स्नेह का,
रहे जिंदगी आपकी सदा गुलजार*

*मतभेद बेशक हो जाएं,
पर मनभेद की कभी ना चिनना दीवार*

*मयंक और महक की 
जोड़ी सदा बनी रहे,
महक की महक से महके
 सदा पूरा बंसल परिवार*

*बेटी से भी अधिक स्नेह
 मिलेगा महक आपको,
रहे ध्यान बस एक ही माला में
मोतियों सा जुड़ा रहे परिवार*

*प्रेम के धागे जुड़े रहें,
हों चित में पल्लवित संस्कार*

*प्रेम से पहले आता सम्मान है
पनपे ना चित में कोई विकार*

*अपने बड़ों की दुआओं से  शुरुआत हुई है नए जीवन की,
अनुराग का सदा होता रहे संचार*

*जिंदगी के सफर में जब मिल जाता है हमसफर,
सफर हो जाता है खुशगवार*

*परवाह बताती है प्रेम कितना है,
सुखद वर्तमान और उज्जवल भविष्य का मिले उपहार*

*10/12/2023 को बंधे हो जो नए बंधन में, 
आजीवन प्रेम को रखना इसमें शुमार*

*जिंदगी खूबसूरत है मयंक और महक आप दोनों की,
यूं हीं लेते और देते रहना सदा प्यार*

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