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अति शुभ और मांगलिक( अभिलाषा स्नेह प्रेमचंद द्वारा)

*अति शुभ और मांगलिक हो
यह नव शिक्षण संस्थान*

*शिक्षा संग मिलें संस्कार भी यहां,
मात्र मिले ना अक्षर ज्ञान*

*ज्ञान की अलख जले यहां निरंतर,
यही भारतीय संस्कृति की पहचान*

*पढ़ेगी बेटी तो बढ़ेगी बेटी*
जान गया है पूरा जहान

*एक नहीं दो घरों को रोशन
करती हैं बेटियां प्यारी*
ऐसा ही हमारा हिन्दुस्तान

*हर बेटी को मिले शिक्षा
शिक्षा व्यक्तित्व का सच्चा परिधान*
अति शुभ और मांगलिक
हो यह नव शिक्षण संस्थान

*ज्यों कुम्हार माटी को मटके का
 दे देता है आकार*
*यूं हीं गुरुजन शिष्यों के भविष्य को देते हैं संवार*

*शिष्य भी पूरी तन्मयता और जिज्ञासा से बने निष्ठावान*
*सुखद वर्तमान और उज्जवल भविष्य का उन्हें मिल जाएगा इनाम*

*अग्निपथ ना बन कर जीवन बन जाएगा सहज पथ,संघर्ष समझौतों को लग जाएगा विराम*

*जीवन नैया की पतवार होगी जब शिक्षित जनों के पास,
भव सागर से पार करना हो जाएगा आसान*

*अति शुभ और मांगलिक हो यह नव शिक्षण संस्थान*
हटे तमस अज्ञान का, हों उजियारे ज्ञान के,कर्म का पहने सब परिधान*

सही मायने में हो जाएगा
*समाधान हेतु आगमन संतुष्टि सहित प्रस्थान*
*शिक्षा ही तो वो चाबी है 
हर समस्या का जिसके पास होता निदान*
शिक्षा का मंदिर ही तो होता है शिक्षण संस्थान
*पुजारी गुरुजन* *भगत हैं शिष्य" और *शिक्षा होती है भगवान*
आता है शिष्य जो पूरी श्रद्धा से,
हो जाता है  शिक्षा के ज्ञान से वो धनवान

सार्थक हो जाता है शत प्रतिशत
जिज्ञासा हेतु आगमन,ज्ञान सहित प्रस्थान

दिल पर दस्तक,जेहन में बसेरा,चित में इसके पक्के निशान
कोई और नहीं वो शिक्षा ही तो है,
जितना जानोगे उतना पाओगे,
सरल, सादा  सीधा सा विज्ञान





Comments

  1. महाविद्यालय के इस ऐतिहासिक दिन एवम शुभ अवसर पर.. आपके द्वारा लिखी इस हृदय की अभिलाषा ने इस अवसर की शोभा और भी बढ़ा दी....
    बहुत ही सुन्दर कविता ❤️



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